लखनऊ, 3 सितंबर 2025:
यूपी सरकार ने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे से जुड़े दस्तावेजों (विभाजन विलेख) पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब इन दस्तावेजों पर अधिकतम शुल्क 5000 रुपये से ज्यादा नहीं लगेगा। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
नई व्यवस्था से संपत्ति का कानूनी बंटवारा आसान होगा और विवादों में कमी आएगी। अभी तक ऊंचे शुल्क के कारण लोग विभाजन विलेख दर्ज नहीं कराते थे और अक्सर मामले अदालतों तक पहुंच जाते थे।
अभी तक क्या थी व्यवस्था
मौजूदा समय में बंटवारे के विलेख पर संपत्ति के मूल्य का 1% रजिस्ट्रेशन शुल्क और अधिकतम 4% स्टांप शुल्क देना पड़ता था। इस कारण बड़ी संपत्ति के मामले में खर्च लाखों रुपये तक पहुंच जाता था। उदाहरण के तौर पर, एक करोड़ रुपये की संपत्ति के बंटवारे पर करीब 5 लाख रुपये खर्च होते थे।
अब कितनी होगी बचत
नई व्यवस्था लागू होने के बाद यही प्रक्रिया केवल 5000 रुपये में पूरी हो सकेगी। सरकार को भले ही स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क से करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि होगी, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि लंबी अवधि में इसका फायदा होगा, क्योंकि लोग पंजीकरण के लिए आगे आएंगे और कानूनी विवाद कम होंगे।
कई राज्यों में लागू है ये व्यवस्था
तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ही ऐसी रियायत लागू है और वहां सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। अब यूपी में भी लोगों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।