Lucknow City

लखनऊ विवि में NSUI का ‘वोट चोरी’ के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान, निकाला विरोध मार्च

विवि प्रशासन ने मार्च रोकने की कोशिश की जिससे कहासुनी की नौबत आई, गरीबी, बेरोजगारी व भुखमरी जैसे वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने का आरोप

लखनऊ, 10 नवंबर 2025:

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने लखनऊ विश्वविद्यालय कैंपस में वोट चोरी के आरोपों के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाए और अभियान के बाद विरोध मार्च निकाला। इस मार्च को विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोकने की कोशिश की जिससे दोनों पक्षों के बीच कहासुनी भी हुई।

NSUI के उपाध्यक्ष आर्यन मिश्रा ने कहा कि चुनाव आयोग पर कब्जा हो गया है। वोट चोरी करके भाजपा सरकार बनाई जा रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राहुल गांधी ने कथित फर्जी वोटिंग के प्रमाण सार्वजनिक किए हैं। वे स्पष्ट संकेत हैं कि वोटों की चोरी हो रही है। यह भी कहा कि NSUI इस संदेश को हर छात्र तक पहुंचाने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों और उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अभियान चला रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर जारी रखने की भी घोषणा की। NSUI के एक अन्य कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस देश के अमीर और गरीब सबके लिए वोट की ताकत समान है। सरकार उस ताकत को छीनने की कोशिश कर रही है। यह भी कहा गया कि यदि वोट की ताकत भी छीनी गई तो देश में समानता खतरे में पड़ जाएगी।

WhatsApp Image 2025-11-10 at 4.16.22 PM
NSUI Launches Signature Drive at lucknow university

एक अन्य प्रदर्शनकारी शुभम ने कहा कि भाजपा का नाम बदलकर ब्राजील जनता पार्टी जैसा हो गया है। हरियाणा में भी ऐसे मॉडल की मिसालें मिल रही हैं, जिसका उल्लेख राहुल गांधी ने किया। उन्होंने चुनाव आयोग पर भी जवाब नहीं देने का आरोप लगाया और कहा कि गरीबी, बेरोजगारी व भुखमरी जैसे वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाया जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन अभियान के संचालन में सहयोग नहीं कर रहा और दबाव बनाया जा रहा है। NSUI ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रहे हैं। प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हुआ। NSUI ने आगामी दिनों में घर-घर जाकर अपने संदेश को पहुंचाने की योजना बताई। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस मामले पर अभी तक फिलहाल आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button