अंशुल मौर्य
वाराणसी, 22 सितंबर 2025 :
यूपी में बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ आज भक्ति और उत्साह के साथ हुआ। सुबह से ही मंदिरों में जय जगदंबे और जय माता दी के जयकारे गूंज उठे। लंबी कतारों में पूजा अर्चना की सामग्री लेकर भक्तों ने श्रद्धापूर्वक दर्शन किये।
वाराणसी स्थित अलईपुरा के प्राचीन मां शैलपुत्री मंदिर और दुर्गाकुंड के मां कुष्मांडा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है, जिसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। काशी का मां शैलपुत्री मंदिर अत्यंत प्राचीन है, जिसके निर्माण का समय और संस्थापक इतिहास के पन्नों में धुंधला हो चुका है। मंदिर के सेवादार पंडित बच्चेलाल गोस्वामी ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां शैलपुत्री का जन्म राजा शैलराज के यहां हुआ था। नारद मुनि ने उनके जन्म के समय भविष्यवाणी की थी कि यह कन्या गुणवान होगी और भगवान शिव की अनन्य भक्त बनेगी। बड़े होने पर मां शैलपुत्री भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचीं, जहां उनकी पूजा आज भी श्रद्धा का केंद्र है।
काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य राजन महाराज ने बताया कि इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं, जो समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। शुक्ल और ब्रह्म योग का दुर्लभ संयोग इस नवरात्रि को और भी शुभ बना रहा है। उन्होंने कहा, “मां की गज सवारी अच्छी बारिश, बेहतर फसल और धन-धान्य की प्रचुरता का संकेत है।” घटस्थापना के लिए आज का दिन पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए विशेष रूप से मंगलकारी माना जा रहा है।