
पहलगाम, 4 अगस्त 2025
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की गुत्थी अब पूरी तरह सुलझ गई है। ऑपरेशन ‘महादेव’ के तहत डाचीगाम-हरवां जंगल में सुरक्षाबलों द्वारा मारे गए तीनों आतंकवादियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी कमांडरों के रूप में हुई है। हमले में 26 निर्दोष तीर्थयात्री मारे गए थे, जिनमें अधिकतर हिन्दू श्रद्धालु थे।
आतंकियों की पहचान क्रमशः सुलेमान शाह उर्फ फैजल जट्ट (A++ ग्रेड कमांडर), अबू हमजा (अफगान मूल का A ग्रेड शूटर), और यासिर उर्फ जिब्रान (A ग्रेड) के रूप में हुई है। जांच में इनके पाकिस्तानी नागरिक होने के पुख्ता सबूत मिले हैं। दो पाकिस्तानी वोटर ID (एक लाहौर, एक गुजरात से), NADRA (पाक राष्ट्रीय डाटाबेस) से जुड़ी स्मार्ट चिप, और कराची में बनी चॉकलेट के रैपर इनके पास से बरामद हुए हैं।
फॉरेंसिक जांच में बरामद AK-103 राइफलें और बेसरन से मिले कारतूस एक-दूसरे से मेल खाते हैं। आतंकियों के डीएनए प्रोफाइल घटनास्थल पर मिले खून से पूरी तरह मैच कर गए।
डिजिटल सबूतों में Garmin GPS और Huawei सैटेलाइट फोन से उनकी गतिविधियों का पूरा रूट ट्रैक हुआ है, जिससे साबित हुआ कि वे लगातार हरवां जंगल में छिपे हुए थे।
IB की रेडियो इंटरसेप्ट से पुष्टि हुई है कि तीनों आतंकी मई 2022 में गुरेज सेक्टर से LOC पार कर भारत में घुसे थे। 21 अप्रैल को दो स्थानीय मददगारों ने इन्हें खाना भी दिया, जिन्हें अब गिरफ्तार कर लिया गया है।
पहले जारी किए गए स्केच गलत निकले थे, जो दिसंबर 2024 की एक पुरानी मुठभेड़ के आधार पर बनाए गए थे। जुलाई में NIA ने इसे स्पष्ट किया।
सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ कि पाकिस्तानी आतंकी सजिद सैफुल्लाह जट्ट—जो लश्कर का साउथ कश्मीर प्रमुख है—हमले को पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहा था। वहीं, रावलकोट (PoK) में लश्कर कमांडर रिज़वान अनीस ने मारे गए आतंकियों के लिए गायबाना नमाज़ भी अदा करवाई।
इस ऑपरेशन से साफ है कि हमले की साजिश और क्रियान्वयन पूरी तरह पाकिस्तान से हुआ था और अब भारत के पास सबूतों की ठोस चेन मौजूद है।