
नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025
केंद्र सरकार आज संसद में तीन अहम विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रस्तावित बिल को लेकर विपक्ष ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है और इसे “लोकतांत्रिक ढांचे को अस्थिर करने की साजिश” बताया है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्षी शासित राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कर सत्ता पलटने की साजिश कर रही है। कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि केंद्र विपक्ष को चुनाव में हराने में नाकाम रहा है, इसलिए अब उन्हें हटाने के लिए यह नया कानून लाया जा रहा है। उन्होंने इसे “अनियंत्रित और अनुचित” करार देते हुए कहा कि गिरफ्तारी के नाम पर मौजूदा मुख्यमंत्रियों को तुरंत हटाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 240 सांसदों वाली बीजेपी संविधान बदलने में लगी है। उनके अनुसार नया विधेयक संघीय ढांचे और न्यायपालिका दोनों को दरकिनार करता है और केंद्र को सीबीआई-ईडी के जरिए विपक्षी नेताओं को झूठे आरोपों में गिरफ्तार कर पद से हटाने का अधिकार देता है।
केंद्र की ओर से लोकसभा में पेश होने वाले विधेयकों में केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं। गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव भी रखेंगे।
लोकसभा में कांग्रेस उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि यह कदम बिहार में राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर सीधा हमला है और जनता को जागरूक होकर इसका विरोध करना चाहिए।






