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“लोकलुभावन योजनाएं चुनाव जीत का मार्ग प्रशस्त करेंगी; पीएम के हमले के बाद कांग्रेस के लिए कठिन होगी राह”

नई दिल्ली, 5 नवंबर 2024

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, जिसके चलते चुनावी रेवड़ी बनाम कल्याणकारी योजनाओं पर बहस फिर से तेज हो गई है। कर्नाटक में महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा योजना में संशोधन के संकेत पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार को फटकार लगाई।

खरगे ने कहा कि पार्टी ने राज्य इकाइयों को केवल वित्तीय रूप से संभव वादे करने के लिए कहा है। इस पर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी को समझ आ गया है कि बिना सोचे-समझे घोषणाएं नहीं करनी चाहिए, और प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के झूठे वादों की संस्कृति के प्रति लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी।

मुफ्त की घोषणाओं पर बहस की आवश्यकता

चुनावों में मुफ्त के वादे केवल एक दल तक सीमित नहीं हैं; कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही जनता को लुभाने के लिए ऐसी घोषणाएं करती हैं। बीजेपी ने कांग्रेस पर हमले के दौरान अपने घोषणापत्र में गोगो दीदी योजना और युवा साथी भत्ता जैसे प्रस्तावों का वादा किया है।

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दिशाहीन लोकलुभावन योजनाओं का वास्तविक प्रभाव और उनकी पहुंच पर गंभीर बहस होनी चाहिए। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अपने वादों के लिए संसाधनों और वित्तीय स्थिरता के प्रभाव के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया था।

पीएम मोदी ने 2022 में ‘रेवड़ी’ कल्चर पर बहस की शुरुआत की, जिससे कांग्रेस के लिए चुनावी स्थिति कठिन हो गई है। चुनावी राज्यों में बीजेपी की हमलावर रणनीति के बीच कांग्रेस को भी कुछ ठोस वादे करने होंगे, अन्यथा उसकी राह मुश्किल हो सकती है।

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