नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025
अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल तेज हो गई है। ट्रंप की आर्थिक धमकियों के बीच भारत, रूस, चीन और ब्राजील के बीच बढ़ती नजदीकियां एक बड़े रणनीतिक गठबंधन की ओर इशारा कर रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल इस समय रूस की राजधानी मॉस्को में हैं। उनका यह दौरा ऊर्जा और रक्षा मामलों के साथ-साथ रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों को लेकर अहम माना जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद डोभाल की यह पहली रूस यात्रा है, जिससे संकेत मिलता है कि भारत रूस के साथ संबंध और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच चीन के दौरे पर जाएंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास बढ़ी है। पिछले कुछ महीनों में NSA डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चीन का दौरा कर चुके हैं।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने भी ट्रंप के टैरिफ फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने साफ कहा कि वे इस मुद्दे पर ट्रंप से बात नहीं करेंगे, लेकिन शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी से जरूर बात करेंगे। लूला का यह बयान अमेरिकी नेतृत्व को झटका देने वाला है, जो ब्रिक्स देशों की एकजुटता को चुनौती मानता है।
रूस ने भी भारत के साथ खुलकर खड़े होने का ऐलान किया है। क्रेमलिन ने स्पष्ट किया कि संप्रभु राष्ट्रों को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का पूरा अधिकार है और ट्रंप की धमकियां नाजायज हैं।
यह घटनाक्रम इस ओर संकेत कर रहा है कि भारत अब एक स्वतंत्र और बहुध्रुवीय विदेश नीति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और अमेरिका की दबाव नीति का कड़ा जवाब देने की तैयारी कर रहा है।