लखनऊ, 14 दिसंबर 2025:
यूपी में क्षेत्रीय राजनीतिक संतुलन के मायने बदलते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से आने के बाद अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी पूर्वांचल का दबदबा हो गया है। रविवार को पंकज चौधरी को यूपी भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके साथ प्रदेश के राजनीतिक नक्शे पर पूर्वांचल खासतौर पर गोरखपुर की पकड़ और मजबूत हुई है।
पंकज चौधरी का राजनीतिक सफर भी गोरखपुर से शुरू हुआ था। उन्होंने गोरखपुर में पार्षद और डिप्टी मेयर के रूप में राजनीति की शुरुआत की। वहीं से उन्होंने आगे बढ़कर राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई। वे गोरखपुर से सटे महराजगंज से सात बार सांसद चुने गए और वर्तमान में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री हैं।

अभी तक प्रदेश अध्यक्ष रहे भूपेंद्र सिंह चौधरी पश्चिम उत्तर प्रदेश से और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से हैं। भाजपा में इसे क्षेत्रीय संतुलन माना जाता था। इस नए बदलाव के साथ अब दोनों प्रमुख संगठनात्मक और शासकीय पद गोरखपुर क्षेत्र से संभाले गए हैं। इससे यह धारणा और मजबूत होती दिख रही है कि उत्तर प्रदेश के ‘पॉवर सेंटर’ का ग्राफ अब पूर्वांचल की ओर शिफ्ट हो रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पंकज चौधरी की नियुक्ति से भाजपा को 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पूर्वांचल में अपना आधार और मजबूत करना है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे। पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। वे प्रदेश की ओबीसी राजनीतिक समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

राजनीतिक समीकरण की बात करें तो मुख्यमंत्री योगी और प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के गोरखपुर से होने से पूर्वांचल का जनाधार और नेतृत्व में भागीदारी दोनों को बल मिलेगा। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में उत्साह की लहर है। इससे पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद यूपी के दूसर क्षेत्रों से आने वाले नेताओं को दिया जाता रहा है, ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे लेकिन इस बदलाव से अब पूर्वांचल की भूमिका और स्पष्ट रूप से उभरती दिख रही है।
इस पृष्ठभूमि में यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व और पंकज चौधरी की नियुक्ति ने यूपी के राजनीतिक केंद्र को पूर्वांचल की ओर खींच दिया है। इससे गोरखपुर अब वास्तविक शक्ति केंद्र के रूप में उभर रहा है।






