वाराणसी,7 October
दुनिया को धर्म की परिभाषा समझने के लिए वाराणसी की धरती से बेहतर कोई दूसरा जगह नहीं मिल सकता. यह कथन तो आज के दौर में शत प्रतिशत प्रमाणित हो जाता है क्योंकि इस शहर ने अपनी विरासत गंगा जमुनी तहजीब को समय बदलने के साथ भी बेहद खूबसूरती से संजोए रखा है. देशभर में रामलीला आयोजन का दौर चल रहा है. इसी क्रम में वाराणसी के लाट भैरव में आयोजित होने वाली रामलीला भी मजहबी एकता का संदेश दे रही है.
इसकी वजह है कि जहां एक ही स्थल पर रामलीला आयोजन के तहत रामचरितमानस के चौपाई की गूंज सुनाई दे रही है, साथ ही उसी स्थल पर मगरिब की नमाज भी अदा की जा रही है. सबसे प्रमुख बात की सैकड़ों वर्षों से स्थानीय लोग इस खूबसूरत तस्वीर के साक्षी बनते चले आ रहे हैं. दुनिया के सबसे प्राचीन शहर वाराणसी में सभी धर्म की संस्कृति और विरासत देखने को मिलती है. वर्तमान समय में देशभर में नवरात्रि और रामलीला आयोजन की धूम है.
इसी क्रम में वाराणसी के लाट भैरव में एक साथ आयोजित होने वाली मगरिब की नमाज और रामलीला देश के साथ-साथ पूरी दुनिया को अमन शांति का पैगाम दे रहा है. खासतौर पर धार्मिक विषयों को लेकर चल रहे संघर्षों वाले देश के लिए तो काशी एक नजीर पेश कर रही है. लाट भैरव क्षेत्र स्थित चबूतरे के पूर्वी दिशा में रामलीला का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पात्र द्वारा प्रभु राम के जीवन से जुड़ी अलग-अलग लीलाओं को निभाया जा रहा था.
सैकड़ों वर्षों से हो रहा ऐसा
वहीं चबूतरे के पश्चिमी ओर नमाजी अल्लाह को याद करते हुए नमाज अदा कर रहे थे. एक तरफ मंगल भवन अमंगल हारी की धुन तो वहीं दूसरी तरफ अजान की गुंज मानो यही संदेश दे रही हो कि कोई भी परंपरा मजहबी दीवार को नहीं मानती. स्थानीय लोगों का मानना है कि सैकड़ों वर्षों से इसी स्थल पर एक साथ रामलीला और नमाज अदा की जाती है.
हर वर्ष काशी के लाट भैरव स्थित क्षेत्र में यह तस्वीर देखने को मिलती है और सबसे खास बात की नमाज अदा करने के बाद दर्जनों की संख्या में छोटे बच्चे बुज़ुर्ग उत्सुकता के साथ रामलीला भी देखते हैं. रामचरितमानस की चौपाई और अजान की गुंज जब एक ही स्थल से सुनाई देती है तो वहां से गुजरने वाले लोग भी एक समय के लिए ठहर जाते हैं. आज के दौर में धार्मिक विषयों पर अनावश्यक टिप्पणी करने वाले राजनेता और धर्मगुरुओं को भी बनारस की यह तस्वीर आइना दिखा रही है.