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बिहार में वोटर लिस्ट से हटे नामों को लेकर हंगामा, अब 1 अगस्त से मिलेगा सुधार का मौका

पटना, 28 जुलाई 2025
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट में हुए बड़े बदलावों को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। पहले चरण की प्रक्रिया खत्म होने के बाद यह सामने आया कि 65 लाख यानी लगभग 8% वोटर्स सूची से गायब हो गए हैं। विपक्ष ने इस पर नाराजगी जताते हुए चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं।

चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी भी मतदाता का नाम ड्राफ्ट लिस्ट से नहीं हटाया गया है। आयोग ने SIR प्रक्रिया को पारदर्शी और समावेशी बताते हुए इसके 10 मकसद भी सूचीबद्ध किए हैं। इसके अनुसार, इस कवायद का उद्देश्य किसी भी मतदाता को उसके मताधिकार से वंचित करना नहीं है।

अब 1 अगस्त से 1 सितंबर तक एक महीने की अवधि तय की गई है, जिसमें ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की जांच की जाएगी। इस दौरान अगर किसी वोटर का नाम गलत तरीके से हटाया गया है या कोई पात्र व्यक्ति छूट गया है, तो वह संबंधित विधानसभा क्षेत्र के ERO (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) या AERO के पास आपत्ति दर्ज करा सकता है या दावा पेश कर सकता है।

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को जारी की जाएगी और अंतिम वोटर लिस्ट 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी। आयोग ने यह भी बताया कि 24 जून 2025 तक कुल 7.24 करोड़ फॉर्म जमा हुए हैं, जो पहले रजिस्टर्ड मतदाताओं से 65 लाख कम हैं। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से भी 48 लाख कम है।

विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया कई पात्र वोटर्स को बाहर करने का जरिया बन सकती है, जबकि चुनाव आयोग इसे सुधार और पारदर्शिता लाने का कदम बता रहा है। अब देखना होगा कि एक महीने की यह दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया कितनी प्रभावी साबित होती है और कितने लोगों के नाम फिर से सूची में जोड़े जाते हैं।

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