लखनऊ, 6 नवंबर 2025:
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का राष्ट्रीय अधिवेशन मथुरा में आयोजित किया जाएगा। 16 नवंबर को होने वाले इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर से 2000 से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे। अधिवेशन के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की औपचारिक घोषणा की जाएगी। यह जानकारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामाशीष राय ने गुरुवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
डॉ. राय ने बताया कि यह अधिवेशन पार्टी संगठन की मजबूती और आगामी राजनीतिक रणनीति तय करने के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक साबित होगा। अधिवेशन में प्रदेशभर से पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, वरिष्ठ नेता, युवा, महिला और किसान प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि पार्टी का सदस्यता अभियान 14 अप्रैल (अम्बेडकर जयंती) से 31 अक्टूबर (सरदार पटेल जयंती) तक पूरे प्रदेश में चलाया गया, जिसमें लगभग 65 लाख से अधिक लोगों ने रालोद की सदस्यता ग्रहण की। यह पार्टी के इतिहास का सबसे सफल सदस्यता अभियान रहा, जिसने यह संकेत दिया कि प्रदेश की जनता अब परिवर्तन चाहती है। जयंत चौधरी के नेतृत्व में नई राजनीतिक दिशा देख रही है।
डॉ. राय ने बताया कि राष्ट्रीय अधिवेशन में वर्ष 2027 के पंचायत और विधानसभा चुनावों की रूपरेखा एवं रणनीति पर व्यापक चर्चा की जाएगी। पार्टी नेतृत्व द्वारा पश्चिमी, पूर्वी, मध्य उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने के ठोस निर्णय लिए जाएंगे। बूथ स्तर तक संगठन मजबूती, स्थानीय नेतृत्व के सशक्तिकरण और युवाओं की भागीदारी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए जाएंगे।
रालोद ने वर्ष 2026 को “चुनावी वर्ष” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान मंडल, जिला और ब्लॉक स्तर पर बैठकें, प्रशिक्षण शिविर तथा जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अधिवेशन में यह भी तय किया जाएगा कि पार्टी संगठन को गांव-गांव तक कैसे पहुंचाया जाए ताकि किसानों, नौजवानों, महिलाओं और मजदूरों की आवाज़ को और प्रभावी ढंग से उठाया जा सके।
अधिवेशन में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की उपलब्धियों और जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही किसानों के हित में प्रस्ताव पारित किए जाएंगे, जिनमें गन्ना मूल्य भुगतान, फसल लागत का उचित मूल्य, सिंचाई सुविधाओं पर रियायत और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
राष्ट्रीय लोकदल का यह अधिवेशन संगठनात्मक और राजनीतिक दोनों दृष्टियों से एक मील का पत्थर साबित होगा, जो आगामी चुनावों में पार्टी की दिशा और जनाधार को मजबूत करने की नई शुरुआत करेगा।






