नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2025:
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए एक अहम दिशा-निर्देश जारी किया है। नियामक ने फंड हाउसों को किसी भी कंपनी में आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम) से पहले निवेश करने से रोक दिया है। अब म्यूचुअल फंड केवल एंकर निवेशक हिस्से या आईपीओ के दौरान ही भाग ले सकेंगे।
सेबी ने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) को भेजे पत्र में स्पष्ट किया कि म्यूचुअल फंड योजनाओं को केवल सूचीबद्ध या सूचीबद्ध होने वाली प्रतिभूतियों में ही निवेश करने की अनुमति है। तर्क यह दिया गया है कि यदि आईपीओ में देरी होती है या वह रद्द हो जाता है तो म्यूचुअल फंड के पास गैर-सूचीबद्ध शेयर रह जाएंगे। ये नियामक मानदंडों का उल्लंघन होगा।
विश्लेषकों के अनुसार यह कदम तरलता जोखिम (liquidity risk) को कम करने की दिशा में उठाया गया है। हालांकि, उद्योग सूत्रों का कहना है कि इससे फंड हाउसों को संभावित आकर्षक निवेश अवसरों से वंचित होना पड़ेगा, जिन्हें खुदरा निवेशकों के लिए लाभकारी बनाया जा सकता था।
फंड प्रबंधकों का तर्क है कि पहले से मौजूद तनाव परीक्षण और खुलासा मानदंड तरलता संबंधी जोखिमों पर पर्याप्त नियंत्रण रखते हैं। लेकिन सेबी के अनुसार, म्यूचुअल फंड योजनाओं की पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।




