अंशुल मौर्य
वाराणसी, 18 जुलाई 2025:
यूपी के वाराणसी जनपद स्थित सिगरा क्षेत्र के नामचीन स्कूल में एक महिला शिक्षिका से यौन उत्पीड़न के मामले में कोर्ट ने जांच की खामियों को उजागर कर पुलिस और स्कूल प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने जांच को “संवेदनहीन और संदिग्ध” करार देते हुए विवेचक दरोगा के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि गत 28 मई को सिगरा थाने में दर्ज FIR में शिक्षिका ने डालिम्स-सनबीम स्कूल के डीन सुभोदीप डे पर यौन उत्पीड़न और प्रिंसिपल प्रतिभा त्रिवेदी पर इसकी अनदेखी का आरोप लगाया था। पीड़िता का कहना है कि डीन ने स्कूल परिसर में उनका मोबाइल छीनकर अश्लील प्रस्ताव दिए और फ्लैट पर बुलाया। शिकायत करने पर उसी दिन उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। पुलिस ने दर्ज हुए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी।
इसी के बाद पीड़िता शिक्षिका ने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट की शरण ली और फाइनल रिपोर्ट को एकपक्षीय और स्कूल प्रशासन के पक्ष में बताया। अब इस मामले में कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि महज 7 दिनों में जांच पूरी कर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करना न्याय के साथ खिलवाड़ है। हैरानी की बात यह है कि पीड़िता का अनिवार्य बयान (धारा 183 BNS) तक दर्ज नहीं किया गया। अदालत ने इसे विधि मानकों का उल्लंघन बताते हुए पुलिस कमिश्नर वाराणसी को 15 दिनों में दरोगा के खिलाफ जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।