
गांधीनगर, 4 जुलाई 2025:
गुजरात सरकार ने फैक्ट्री एक्ट, 1948 में बड़े बदलाव करते हुए काम के घंटों और महिला कर्मचारियों से जुड़े नियमों में संशोधन किया है। नए अध्यादेश के तहत अब राज्य में कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों की अधिकतम ड्यूटी सीमा को 9 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया गया है। हालांकि, यह शर्त रखी गई है कि पूरे सप्ताह में काम के कुल घंटे 48 से अधिक नहीं होंगे।
राज्य के श्रम, कौशल विकास और रोजगार विभाग द्वारा 1 जुलाई को जारी किए गए इस अध्यादेश का उद्देश्य राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना और रोजगार के अवसर बढ़ाना है।
इस संशोधन में यह भी प्रावधान जोड़ा गया है कि कर्मचारी बिना ब्रेक के 5 से 6 घंटे तक काम करेंगे और बढ़ी हुई ड्यूटी के लिए उनकी लिखित सहमति अनिवार्य होगी। ओवरटाइम की सीमा भी 75 घंटे से बढ़ाकर 125 घंटे कर दी गई है, लेकिन इसके लिए भी कर्मचारी की लिखित अनुमति जरूरी होगी।
सबसे अहम बदलाव महिला कर्मचारियों के लिए किया गया है। अब महिलाओं को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी गई है, लेकिन यह पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। कोई भी महिला जबरन नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए बाध्य नहीं की जाएगी। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ जरूरी शर्तें भी तय की गई हैं।
इनमें फैक्ट्री परिसर के अंदर और बाहर उचित प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे, महिला गार्ड की मौजूदगी और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था शामिल है। साथ ही महिलाओं को 10 से कम के बैच में न रखा जाएगा, जिससे वे अकेली महसूस न करें। इसके अलावा, पिकअप और ड्रॉप सुविधा में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि कोई महिला न सबसे पहले पिकअप की जाए और न सबसे अंत में छोड़ी जाए।
यह बदलाव राज्य के औद्योगिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, लेकिन इसके प्रभाव और क्रियान्वयन को लेकर विभिन्न वर्गों में चर्चाएं भी तेज हो गई हैं।






