
लखनऊ, 24 दिसंबर 2024:
मिर्च-मसाला, ड्रॉमा, एक्शन, सपनों की दुनिया वाली लव स्टोरीज से लेकर लार्जर दैन लाइन कैनवास का जामा पहने बॉलीवुड में शुरू से लेकर आखिरी तक अगर किसी फिल्मकार ने अपनी फिल्मों की रूह को जिंदा रखा, वो थे श्याम बेनेगल।
श्याम बेनेगल ने 1974 में अपनी पहली फिल्म बनाई और 2023 में आखिरी। उनकी फिल्मों में अगर कुछ नहीं बदला तो वो था फिल्मों का सच के करीब होना। हर भाव की कहानियां निडर होकर कहना और कलाकारों को इस तरह से पेश करना कि वो किसी दूसरी दुनिया के प्राणी न लगकर हमारे-आपके जैसे ही लगें। तकरीबन 50 साल तक फिल्मों की दुनिया में सक्रिय रहने वाले, सबसे बेहतरीन निर्देशकों में गिने जाने वाले श्याम बेनेगल ने 90 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। इसी महीने 14 दिसंबर को उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था।
आठ बार मिला था नेशनल अवॉर्ड
श्याम बेनेगल उन बिरले फिल्मकारों में से थे जिन्हें कुल 8 बार नेशनल अवॉर्ड मिला। इसके अलावा उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से भी नवाजा गया। लीक से हटकर कहानियों के अलावा श्याम अपनी स्पीड के लिए भी जाने जाते थे। उनकी फिल्म “मंडी” केवल 28 दिन में शूट हुई थी। लगभग एक दशक तक सैकड़ों विज्ञापन बनाने के बाद फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले श्याम बेनेगल ऐसे फिल्मकार थे जिन्होंने फिल्मों को केवल एंटरटेनमेंट मानने से साफ इनकार कर दिया और अपनी पहली ही फिल्म “अंकुर” में ये बात साबित भी कर दी।
हिंदी फिल्मों को दी एक नई परिभाषा
इसी के साथ फिल्मों को एक नई परिभाषा दी, जिसे आज हम पैरेलल सिनेमा कहते हैं। अंकुर के बाद भूमिका, निशांत, मंथन, जुनून, कलयुग, सूरज का सातवां घोड़ा जैसी फिल्मों से उन्होंने हर बार ये साबित किया फिल्में समाज का आईना बन सकती हैं। यहां तक कि मसाला फिल्मों की सुपरहिट कलाकार करिश्मा कपूर को भी उन्होंने फिल्म जुबैदा में बिल्कुल अलग अंदाज में पेश किया।
1974 में फिल्मों में लाए थे नो मेकअप लुक
जिस नो मेकअप लुक की आजकल दुनिया दीवानी हो रही है, श्याम बेनेगल 1974 में ही अपनी फिल्मों में ले आए थे। अंकुर फिल्म से शबाना आजमी ऐसी पहली कलाकार बनकर उभरीं जो बिना मेकअप के पर्दे पर आई भी और छाई भी। श्याम बेनेगल के साथ जिन फिल्मकारों ने कॅरियर शुरू किया था, वो समय की दौड़ में शामिल होकर अपनी पहचान से दूर होते गए मगर 50 साल तक पर्दे पर सच्चाई को सपनों की तरह रखने वाले श्याम बेनेगल ने अपने उसूल कभी नहीं बदले।






