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FD के लिए मां की हत्या करने वाले बेटे को मौत की सजा, कोर्ट ने कहा – मां भगवान के समान, हत्या माफी योग्य नहीं

श्योपुर, 24 जुलाई 2025

मध्य प्रदेश के श्योपुर में हुए खौफनाक हत्या कांड में जिसने मध्यप्रदेश के साथ पूरे देश को हिला कर रख दिया था, उस मामले में श्योपुर की एक निचली अदालत ने 26 वर्षीय एक व्यक्ति को महिला (मां) की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई है, जिसने उसे अपना बेटा माना था। आरोपी ने महिला की 32 लाख रुपये की सावधि जमा राशि हड़पने के लिए शव को दीवार में छिपा दिया था।

अभियोजक के अनुसार, अदालत ने बुधवार को पारित अपने आदेश में कहा कि भारतीय परंपरा में मां को भगवान के समान माना जाता है और उसकी हत्या अक्षम्य है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने श्योपुर जिले के रेलवे कॉलोनी निवासी दीपक पचौरी को पिछले साल अपनी मां उषा देवी की हत्या के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत दोषी पाते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई।

विशेष लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने बताया कि पचौरी ने 8 मई 2024 को श्योपुर कोतवाली थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि, उनके बयानों में विसंगतियों से संदेह पैदा हुआ। पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन ने बताया कि पूछताछ के दौरान व्यक्ति ने हत्या की बात कबूल कर ली। उन्हें लगभग 20 वर्ष पहले उषा देवी और उनके पति भुवेन्द्र पचौरी ने ग्वालियर के एक अनाथालय से गोद लिया था।

2021 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, पचौरी ने अपने पिता की सावधि जमा राशि से 16.85 लाख रुपये निकाले। उन्होंने 14 लाख रुपये शेयर बाजार में निवेश किए और बाकी खर्च कर दिए।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, घाटे के बाद उसने अपनी मां की 32 लाख रुपये की एफडी को निशाना बनाया, जिसमें वह एकमात्र नामित व्यक्ति था। जब उषा देवी ने उसे पैसे देने से इनकार कर दिया तो उसने उसकी हत्या की योजना बनाई। अभियोजन पक्ष ने बताया कि 6 मई, 2024 को उसने अपनी माँ को सीढ़ियाँ चढ़ते समय धक्का दे दिया। जब इससे उनकी मौत नहीं हुई, तो उसने लोहे की रॉड से उन पर वार किया और उनका गला घोंट दिया। उसने शव को लाल कपड़े में लपेटा और उसे सीमेंट, रेत और ईंटों का उपयोग करके सीढ़ीनुमा शौचालय के नीचे दीवार के अन्दर छिपा दिया।

जाधव ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव को बाहर निकाला और लोहे की छड़ तथा अन्य सामग्री जब्त कर ली। फोरेंसिक जांच भी कराई गई। पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य जुटाने के बाद आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 201 (अपराध के साक्ष्य को गायब करना) के तहत मामला दर्ज किया था और आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर किया था।

 

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