अंशुल मौर्य
• सनातन परंपरा में नारी शक्ति के सम्मान का अनूठा उदाहरण: समाजसेवा, कला और शिक्षा क्षेत्र की प्रतिनिधि महिलाओं ने नवमी यज्ञ को दी नई प्रेरणा!
वाराणसी,7 अप्रैल 2025:
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर आज श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने सनातन धर्म की उस अद्वितीय परंपरा को पुनर्जीवित किया, जो नारी को देवी के साथ-साथ समाज की धुरी के रूप में स्थापित करती है। इस पावन अवसर पर मंदिर परिसर में आयोजित भव्य नवमी यज्ञ का दायित्व समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आई 9 प्रतिनिधि मातृ शक्तियों को सौंपा गया। यह पहली बार हुआ जब शास्त्रीय अनुष्ठानों की अगुवाई करने वाले यज्ञकुंड के समीप महिलाओं ने पुरोहित की भूमिका निभाई और नारी सशक्तिकरण का एक ऐतिहासिक संदेश दिया।
अयोध्या से काशी तक: सूर्य तिलक का सजीव प्रसारण और नारी शक्ति का तेज
दिन की शुरुआत अयोध्या धाम में भगवान श्रीराम के “सूर्य तिलक” कार्यक्रम के सीधे प्रसारण से हुई। मंदिर चौक पर लगी विशाल एलईडी स्क्रीन पर इस दिव्य दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं ने आनंदित होकर जय-जयकार किया। इसके बाद, समाजसेवा, कला, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली 9 मातृ शक्तियों ने यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित कर अनुष्ठान का नेतृत्व किया। ये महिलाएँ न केवल अपने-अपने क्षेत्र की प्रेरणा बनीं, बल्कि सनातन संस्कृति के उस सिद्धांत को भी साकार किया जो नारी को “शक्तिस्वरूपा” मानता है।

“नारी पूज्या, नारी प्रेरिका”—न्यास ने दोहराया सनातन का संकल्प
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्वभूषण मिश्रा ने इस ऐतिहासिक पहल पर कहा, “यह यज्ञ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को यह याद दिलाने का प्रयास है कि नारी शक्ति के बिना सृष्टि की कल्पना असंभव है। सनातन परंपरा में नारी की भूमिका पूज्यनीय और मार्गदर्शक की रही है। हमारा उद्देश्य इस विरासत को आधुनिक संदर्भ में पुनर्स्थापित करना है।”

समाज के हर कोने से जुड़ी महिलाओं ने ली यज्ञ की अगुआई
इन 9 महिलाओं का चयन उनके समाजसेवा, शिक्षा, कला और अन्य क्षेत्रों में निभाई गई भूमिका के आधार पर किया गया था। यह पहल इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म में नारी की प्रतिष्ठा केवल मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर सोपान में उसकी सक्रिय भागीदारी को स्वीकार करती है। यज्ञ के दौरान इन महिलाओं ने वेद मंत्रों के साथ हवन सामग्री अर्पित की और समाज में नारी की गरिमा को पुनर्स्थापित करने की प्रार्थना की।

काशी से विश्व तक: नारी शक्ति का संदेश
यह आयोजन सनातन धर्म की उदारता और प्रगतिशील सोच का जीवंत उदाहरण बन गया। न्यास ने इस मौके पर संकल्प लिया कि भविष्य में भी ऐसे प्रयासों के माध्यम से नारी शक्ति को सम्मानित किया जाएगा। नवमी यज्ञ की पवित्र अग्नि से निकला यह प्रकाश केवल काशी तक नहीं, बल्कि पूरे विश्व को यह संदेश देता है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता”—जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।