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National

राज्य सरकारें सार्वजनिक भवनों में बाल देखभाल और भोजन कक्ष सुनिश्चित करें : सुप्रीम कोर्ट

ankit vishwakarma
Last updated: February 20, 2025 12:57 pm
ankit vishwakarma 7 months ago
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नई दिल्ली, 20 फरवरी 2025

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सार्वजनिक भवनों में बच्चों की देखभाल और शिशुओं के भोजन के लिए अलग स्थानों के महत्व को रेखांकित किया तथा राज्यों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने कहा कि ऐसी सुविधाएं स्थापित करने से माताओं की गोपनीयता सुनिश्चित होगी और शिशुओं के लिए लाभकारी साबित होगी। अदालत ने कहा कि मौजूदा सार्वजनिक स्थानों पर, जहां तक ​​संभव हो, राज्य सरकारें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। पीठ ने कहा, “जहां तक ​​सार्वजनिक स्थानों पर नियोजन और निर्माण के चरण में मौजूद सार्वजनिक भवनों का सवाल है, राज्य सरकारें यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि उपर्युक्त उद्देश्यों के लिए पर्याप्त स्थान आरक्षित रखा जाए।”

शीर्ष अदालत सार्वजनिक स्थानों पर शिशुओं और माताओं के लिए फीडिंग रूम, चाइल्ड केयर रूम या अन्य सुविधाएं बनाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। केंद्र के वकील ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव ने 27 फरवरी, 2024 को इस मुद्दे पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को एक पत्र जारी किया था।

पीठ ने कहा कि उसे मालूम है कि उसने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोई नोटिस जारी नहीं किया है। पीठ ने सचिव के पत्र पर संतोष व्यक्त किया जिसमें याचिका में उल्लिखित प्रार्थनाओं को शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है, “इसके अध्ययन से हमें पता चला है कि सार्वजनिक स्थानों पर उपरोक्त सुविधाएं स्थापित करने की सलाह, गोपनीयता सुनिश्चित करने और छोटे बच्चों वाली माताओं के कर्तव्यों के निर्वहन में आसानी तथा शिशुओं के लाभ के लिए है।”

पीठ ने कहा कि यदि राज्यों द्वारा इस सलाह पर अमल किया गया तो इससे युवा माताओं और शिशुओं को दूध पिलाने के समय गोपनीयता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।

अदालत ने कहा, “हम पाते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई उक्त सलाह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 (3) के तहत सुनिश्चित मौलिक अधिकारों के अनुरूप है।”

न्यायालय ने केन्द्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को अनुस्मारक संदेश के रूप में परामर्श जारी करे, साथ ही आदेश की एक प्रति भी भेजे।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केंद्र द्वारा 27 फरवरी, 2024 को जारी की गई सलाह का अनुपालन करने वाले राज्य ही याचिका दायर करने का उद्देश्य पूरा करेंगे। पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया और केंद्र को दो सप्ताह के भीतर उसके निर्देश का पालन करने को कहा।

याचिका में प्राधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे सार्वजनिक भवनों में बच्चों की देखभाल और दूध पिलाने के लिए विशेष स्थान निर्धारित करने के अलावा स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा सुनिश्चित करें। शीर्ष अदालत ने 19 नवंबर, 2024 को कहा कि फिलहाल केंद्र द्वारा जारी नियमों या अधिसूचनाओं सहित कोई ठोस कानून नहीं है।

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