
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 28 सितंबर 2025 :
यूपी के गोरखपुर जिले में हर सुबह निकलने वाली प्रभात फेरी की परंपरा भक्ति और सामाजिक सद्भाव का अनूठा संगम बन गई है। पिछले 14 वर्षों से लगातार जारी प्रभात फेरी में सैकड़ों लोग भजन-कीर्तन करते हुए तीन से पांच किलोमीटर तक पैदल चलते हैं और पूरे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर देते हैं।
प्रभात फेरी की प्रेरणा 27 मार्च 2011 को हनुमान मंदिर, बेतियाहाता में आयोजित कथा के दौरान संत राधाकृष्ण महाराज ने दी थी। उन्होंने गीता वाटिका में कथा के दौरान लोगों को इसके लिए प्रेरित किया और खुद प्रभात फेरी की अगुवाई भी की। तब से यह पहल परंपरा बन चुकी है। वर्तमान में शहर के सात प्रमुख स्थानों हनुमान मंदिर बेतियाहाता, लक्ष्मी नारायण मंदिर साहबगंज, सत्संग भवन रायगंज, संतोषी माता मंदिर आर्यनगर, रामजानकी मंदिर सुमेर सागर, गोड़ियाना मिर्जापुर व हनुमान गढ़ी और लालडिग्गी क्षेत्र से निकाली जाती है।
शुरुआत में कुछ ही लोग इससे जुड़े थे, लेकिन आज सैकड़ों लोग प्रतिदिन इसका हिस्सा बनते हैं। सुबह की ताजी हवा और भक्ति भाव से लोगों में जहां स्वास्थ्य लाभ होता है, वहीं समाज में मैत्री और एकता का संदेश भी फैलता है। संत राधाकृष्ण महाराज का कहना है “भगवान का नाम केवल मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतु, पशु-पक्षी और पेड़-पौधे भी सुनते हैं। प्रभात फेरी से वातावरण सकारात्मक बनता है और जब पूरा वातावरण सकारात्मक होगा तो समाज से वैमनस्य, कलह और घृणा स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।” प्रभात फेरी में शामिल लोग मानते हैं कि यह न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। उनका कहना है कि सुबह का यह भजन-कीर्तन दिनभर ऊर्जा से भर देता है।






