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साइबेरियन पक्षियों की आमद से काशी के घाटों पर जीवन का नया रंग, घाटों पर खींच रहे हैं हर नजर

अंशुल मौर्य
वाराणसी, 20 नवंबर 2024:

उत्तर प्रदेश के बनारस के गंगा घाट पर ठंड के आगमन के साथ ही साइबेरियन पक्षियों का आना शुरू हो गया है। सात समंदर पार से आने वाले इन पक्षियों ने गंगा नदी के तटवर्ती इलाकों को अपनी खूबसूरती से सजा दिया है। इन पक्षियों को देखने के लिए काशीवासियों और देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की भारी भीड़ घाटों पर उमड़ रही है। पर्यटक इन पक्षियों को दाना खिलाते हैं और नौका विहार के दौरान उनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद कर रहे हैं।

पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण और पर्यटन का आकर्षण

पक्षी विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का कहना है कि साइबेरियन पक्षियों का आगमन न केवल बनारस की खूबसूरती को बढ़ाता है, बल्कि यह गंगा नदी के इकोसिस्टम के लिए भी महत्वपूर्ण है। ये पक्षी यहां घोंसले बनाते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद करते हैं। पर्यटन विभाग ने भी इन पक्षियों के आगमन के अवसर पर विशेष व्यवस्था की है, जिससे पर्यटक इनके करीब जा सकें और उनकी सुंदरता का आनंद उठा सकें।

युद्ध का असर: बढ़ी साइबेरियन पक्षियों की संख्या

पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण साइबेरियन पक्षियों का ठिकाना बदल गया है। जहां पहले ये पक्षी अन्यत्र जाते थे, अब वे बड़ी संख्या में भारत का रुख कर रहे हैं। इसके चलते वाराणसी के गंगा घाटों पर इनकी संख्या में इस बार वृद्धि देखी गई है। साइबेरिया के कठोर सर्द मौसम की तुलना में भारत का मौसम इन्हें अनुकूल लगता है।

सुरक्षा के लिए वन विभाग का अलर्ट

इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग सतर्क हो गया है। प्रभागीय वन अधिकारी प्रवीण खरे ने बताया कि गंगा घाटों पर गश्त की जा रही है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे पक्षियों को ब्रेड, नमकीन या अन्य हानिकारक चीजें न खिलाएं, क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। साथ ही, किसी भी तरह की शिकार या नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सर्दियों में काशी का अद्वितीय अनुभव

साइबेरियन पक्षियों की मौजूदगी ने वाराणसी के गंगा घाटों की सुंदरता को नई ऊंचाइयां दी हैं। उनकी खूबसूरत उड़ान और इंसानों के करीब आने का अंदाज पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। दिसंबर और जनवरी में इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है, जो ठंड के मौसम में काशी का अनुभव और भी खास बना देगा।

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