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बिहार में नए राजनीतिक दलों की बहार: संयोग या सियासी प्रयोग?

पटना, 14 अप्रैल 2025
बिहार की सियासत इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राज्य में पिछले सात महीनों में चार नए राजनीतिक दलों का गठन हुआ है, जिससे राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदलने के संकेत मिल रहे हैं। प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पार्टी’, आरसीपी सिंह की ‘आप सबकी आवाज़’, पूर्व आईपीएस शिवदीप वामनराव लांडे की ‘हिंद सेना’ और अब ई. आईपी गुप्ता की ‘इंडियन इंकलाब पार्टी’ इन नए दलों में प्रमुख हैं।

रविवार को पटना के गांधी मैदान में पान समाज की विशाल रैली में इंडियन इंकलाब पार्टी का ऐलान करते हुए ई. आईपी गुप्ता ने कहा कि यह पार्टी केवल चुनावी लड़ाई के लिए नहीं, बल्कि समाज में नई सोच और नेतृत्व की शुरुआत के लिए है। उनका कहना है कि यह समय है जब अब तक उपेक्षित समुदायों की आवाज सत्ता तक पहुंचे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पार्टी पान समाज सहित अति पिछड़े वर्गों के लिए एक नई राजनीतिक दिशा तय करेगी।

इससे पहले, जन सुराज पार्टी के जरिए प्रशांत किशोर ने साफ कहा था कि वे जात-पात से ऊपर उठकर विकास की राजनीति को बढ़ावा देना चाहते हैं। वहीं, आरसीपी सिंह और शिवदीप लांडे भी अपनी-अपनी सियासी रणनीतियों और जनसमर्थन के आधार पर मैदान में उतर चुके हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए दलों का प्रभाव मुख्यतः विपक्षी वोटबैंक पर पड़ेगा, खासकर आरजेडी, कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य दलों पर। इससे एनडीए को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।

अब देखना यह है कि क्या ये नए दल केवल वोट काटने की भूमिका में रहेंगे या बिहार की राजनीति में सचमुच कोई क्रांतिकारी बदलाव ला पाएंगे। इतना तो तय है कि 2025 का विधानसभा चुनाव नए समीकरणों और अप्रत्याशित नतीजों का गवाह बनने जा रहा है।

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