
नई दिल्ली, 16 अगस्त 2025
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट न तो उच्च न्यायालय से श्रेष्ठ है और न ही निम्न। शुक्रवार को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार दोनों समान संवैधानिक अदालतें हैं। वहीं, एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने एक प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को हाईकोर्ट के जज के पद के लिए विचार किया जाना चाहिए। अगर ऐसे वकील हाईकोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करते हैं, तब भी उन्हें जज का पद दिया जाना चाहिए। इसका जवाब देते हुए कहा कि सीजेआई, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट एक ही हैं। इसलिए हाईकोर्ट कॉलेजियम और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट कॉलेजियम को जज के पद के लिए किसी विशिष्ट व्यक्ति के नाम की सिफारिश करने का निर्देश नहीं दिया।
इस पर पहला फैसला हाई कोर्ट कॉलेजियम को लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके द्वारा सुझाए गए नामों पर विचार किया है। हम उनसे कहेंगे कि वे सूची में योग्य लोगों के नाम दर्शाएँ। जाँच के बाद, न्यायाधीश पद के लिए योग्य लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट भेजे जाएँगे। पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उम्मीदवारों से सीधे संवाद की व्यवस्था शुरू की थी। इसके कई सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उम्मीदवारों से बात करने के बाद, यह जानना संभव हो पाया है कि कौन न्यायाधीश पद के लिए योग्य है और वे समाज के लिए क्या लाभ पहुँचाते हैं, बीआर गवई ने बताया।
इस अवसर पर, न्यायमूर्ति गवई ने झारखंड में 1855 के संथाल विद्रोह, 1857 के विद्रोह, रानी लक्ष्मीबाई, बिरसा मुंडा, जलियाँवाला बाग हत्याकांड और चंपारण सत्याग्रह जैसे ऐतिहासिक संघर्षों पर चर्चा की। उन्होंने 19वीं सदी में शोषित वर्ग की लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष करने वाले ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले जैसे सुधारकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और बी.आर. अंबेडकर के विचारों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।






