बिजनेस डेस्क, 27 दिसंबर 2025:
इस साल भारत का बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा क्षेत्र यानी बीएफएसआई वैश्विक निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक केंद्रों में शामिल रहा। इस अवधि में इस सेक्टर में करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये, यानी लगभग 15 अरब डॉलर का निवेश आया। विदेशी बैंक, बीमा कंपनियां, निजी इक्विटी फंड और सरकारी निवेशकों ने हिस्सेदारी खरीद, नियंत्रण सौदों और सीधे पूंजी निवेश के जरिये भारतीय वित्तीय संस्थानों में भरोसा जताया।
सौदों की रफ्तार ने बदली वैश्विक सोच
बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बीमा क्षेत्र में हुए बड़े सौदों ने यह संकेत दिया कि वैश्विक निवेशक अब भारत की वित्तीय प्रणाली को नए नजरिये से देख रहे हैं। 2025 को पिछले वर्षों से अलग बनाने वाली सबसे अहम बात सीमा पार निवेश का आकार और उसका उद्देश्य रहा। ये सौदे केवल पूंजी लगाने तक सीमित नहीं रहे, बल्कि दीर्घकालिक भागीदारी और नियंत्रण तक पहुंचे।
जापान और खाडी देशों का भरोसा
मित्सुबिशी यूएफजे वित्तीय समूह द्वारा श्रीराम फाइनेंस में 4.4 अरब डॉलर में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने का समझौता इस बदलाव का बड़ा उदाहरण रहा। इस सौदे ने खुदरा और लघु कारोबार पर केंद्रित भारतीय ऋण मंचों में विदेशी विश्वास को उजागर किया। वहीं, एमिरेट्स एनबीडी द्वारा आरबीएल बैंक में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करना एक दुर्लभ मामला रहा, जहां किसी विदेशी बैंक ने भारतीय निजी बैंक का परिचालन नियंत्रण संभाला। इससे यह भी साफ हुआ कि भारत का नियामक ढांचा अब वैश्विक बैंकों को नेतृत्व की भूमिका देने के लिए तैयार है।
भारत अब सहायक बाजार नहीं
जापान की निरंतर सक्रियता ने इस धारणा को और मजबूत किया कि भारत अब केवल उभरता हुआ बाजार नहीं रहा। सुमितोमो मित्सुई का यस बैंक में निवेश इस बात का संकेत है कि विदेशी बैंक भारत को दीर्घकालिक विकास का प्रमुख केंद्र मान रहे हैं। वे यहां केवल अवसर नहीं, बल्कि रणनीतिक मौजूदगी बनाना चाहते हैं।
मजबूत बैलेंस शीट बनी आकर्षण का केंद्र
विशेषज्ञों के अनुसार, इस भारी निवेश के पीछे घरेलू वित्तीय संस्थानों की मजबूत तैयारी अहम वजह रही। ऋणमुक्ति, पुनर्पूंजीकरण और सख्त नियमन के बाद भारतीय बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 2025 में बेहतर वित्तीय स्थिति और मजबूत पूंजी पर्याप्तता के साथ सामने आईं। इसी कारण विदेशी निवेशक जोखिम भरे सौदों के बजाय स्थिर और अनुमानित वृद्धि वाले संस्थानों की ओर आकर्षित हुए। फेडरल बैंक में ब्लैकस्टोन, सम्मान कैपिटल में आईएचसी और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में वारबर्ग पिंकस व एडीआईए का निवेश इसी भरोसे का प्रमाण बना।






