
नई दिल्ली, 26 अप्रैल 2025
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। यह संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जो दोनों देशों के बीच जल के बंटवारे को लेकर ऐतिहासिक समझौता मानी जाती है। लेकिन अब इस संधि को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि पाकिस्तान इसे संयुक्त राष्ट्र में उठाने की तैयारी कर रहा है।
भारत के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है, क्योंकि इस संधि का गारंटर विश्व बैंक है और इसे रद्द करना आसान नहीं है। जानकारों का कहना है कि भारत यदि पाकिस्तान की जल आपूर्ति को रोकना चाहे, तो उसे बड़े पैमाने पर बांध और नहरों का निर्माण करना होगा, जिसमें सालों लग सकते हैं।
पाकिस्तान ने संकेत दिए हैं कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ले जाएगा। ऐसे में अब सवाल यह है कि वीटो पावर वाले देश — अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस — किस पक्ष में खड़े होंगे।
रूस और फ्रांस के भारत के साथ पारंपरिक और सामरिक संबंध मजबूत रहे हैं, इसलिए उनके समर्थन की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, चीन का पाकिस्तान के साथ गहरा आर्थिक और रणनीतिक जुड़ाव है, खासकर CPEC परियोजना के कारण, जिससे उसके पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने की संभावना प्रबल है।
अमेरिका और ब्रिटेन के रुख को लेकर स्थिति थोड़ी जटिल है। अमेरिका भारत को इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक साझेदार मानता है, पर पाकिस्तान से भी उसके आतंकवाद-रोधी संबंध हैं। वहीं, ब्रिटेन पाकिस्तान मूल की बड़ी आबादी की वजह से संतुलन साधने की कोशिश कर सकता है।
इस संधि को लेकर भारत की अगली कूटनीतिक चालें अंतरराष्ट्रीय समीकरणों पर निर्भर करेंगी। संयुक्त राष्ट्र में मामला तभी पहुंचेगा जब दोनों देश सिंधु जल आयोग और विश्व बैंक स्तर पर समाधान में विफल होंगे।






