• About Us
  • T&C
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • Site Map
The Ho HallaThe Ho HallaThe Ho Halla
  • Ho Halla Special
  • State
    • Andhra Pradesh
    • Arunachal Pradesh
    • Assam
    • Bihar
    • Chandigarh
    • Chhattisgarh
    • Delhi
    • Gujarat
    • Haryana
    • Himachal Pradesh
    • Jammu & Kashmir
    • Jharkhand
    • Karnataka
    • Kerala
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Odhisha
    • Punjab
    • Rajasthan
    • Sikkim
    • Tamil Nadu
    • Telangana
    • Uttar Pradesh
    • Uttrakhand
    • West Bengal
  • National
  • Religious
  • Sports
  • Politics
Reading: माता-पिता की मर्जी के खिलाफ विवाह करने वाले पुलिस सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट
Share
Notification Show More
Font ResizerAa
The Ho HallaThe Ho Halla
Font ResizerAa
  • Ho Halla Special
  • State
    • Andhra Pradesh
    • Arunachal Pradesh
    • Assam
    • Bihar
    • Chandigarh
    • Chhattisgarh
    • Delhi
    • Gujarat
    • Haryana
    • Himachal Pradesh
    • Jammu & Kashmir
    • Jharkhand
    • Karnataka
    • Kerala
    • Madhya Pradesh
    • Maharashtra
    • Manipur
    • Odhisha
    • Punjab
    • Rajasthan
    • Sikkim
    • Tamil Nadu
    • Telangana
    • Uttar Pradesh
    • Uttrakhand
    • West Bengal
  • National
  • Religious
  • Sports
  • Politics
Follow US
  • Advertise
© 2022 TheHoHalla All Rights Reserved.
The Ho Halla > Blog > State > Uttar Pradesh > माता-पिता की मर्जी के खिलाफ विवाह करने वाले पुलिस सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट
NationalUttar Pradesh

माता-पिता की मर्जी के खिलाफ विवाह करने वाले पुलिस सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट

ankit vishwakarma
Last updated: April 17, 2025 12:11 pm
ankit vishwakarma 5 months ago
Share
SHARE

नई दिल्ली, 17 अप्रैल 2025

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि जो जोड़े अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध अपनी इच्छा से विवाह करते हैं, वे अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते, जब तक कि उनके जीवन और स्वतंत्रता को वास्तविक खतरा न हो।

अदालत ने यह फैसला एक दम्पति द्वारा सुरक्षा की मांग करते हुए दायर आवेदन पर निर्णय लेते हुए दिया। न्यायालय ने कहा कि न्यायालय उचित मामले में दम्पति को सुरक्षा प्रदान कर सकता है, लेकिन किसी भी खतरे की आशंका के अभाव में, ऐसे दम्पति को “एक-दूसरे का समर्थन करना और समाज का सामना करना सीखना चाहिए।”

न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने यह टिप्पणी श्रेया केसरवानी और उनके पति द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें पुलिस सुरक्षा और निजी प्रतिवादियों को उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप न करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

अदालत ने उनकी याचिका में दिए गए कथनों पर विचार करने के बाद उनकी रिट याचिका का निपटारा कर दिया तथा कहा कि याचिकाकर्ताओं को कोई गंभीर खतरा नहीं है।

रिट याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा, “लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के आलोक में उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है, जिसमें यह माना गया है कि न्यायालयों का उद्देश्य ऐसे युवाओं को सुरक्षा प्रदान करना नहीं है जो केवल अपनी इच्छा से विवाह करने के लिए भाग गए हैं।”

अदालत ने यह भी कहा कि ऐसा कोई तथ्य या कारण नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि याचिकाकर्ताओं का जीवन और स्वतंत्रता खतरे में है। अदालत ने कहा, “ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो यह साबित करे कि निजी प्रतिवादी (याचिकाकर्ताओं में से किसी के रिश्तेदार) याचिकाकर्ताओं पर शारीरिक या मानसिक हमला कर सकते हैं।”

इसके अतिरिक्त, अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने निजी प्रतिवादियों के कथित अवैध आचरण के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों को सूचना के रूप में कोई विशिष्ट आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है।

हालांकि, यह देखते हुए कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही चित्रकूट जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है, अदालत ने कहा, “यदि संबंधित पुलिस को वास्तविक खतरा महसूस होता है, तो वे कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करेंगे।”

इस पृष्ठभूमि में, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई व्यक्ति उनके साथ दुर्व्यवहार करता है या उनके साथ मारपीट करता है, तो अदालतें और पुलिस अधिकारी उनकी सहायता के लिए मौजूद हैं।

4 अप्रैल के अपने निर्णय में न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अधिकार के रूप में सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते।

TAGGED:Allahabad HCAllahabad High CourtAllahabad High Court on MarriagesCouplesCouples police protectionlove marriagemarriage against parentsNo Police Protection If Marrying Against Parents Wishespolice protectionUP Policeइलाहाबाद हाईकोर्टशादी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट
Share This Article
Facebook Email Print
Previous Article पुलिस कमिश्नर हटने पर समर्थक खुश, विधायक गुर्जर को नया कुर्ता देने की होड़ लगी
Next Article लखनऊ : आग लगने के बाद प्रशासन सतर्क, लोकबंधु के साथ अन्य अस्पतालों की भी होगी जांच
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The Ho HallaThe Ho Halla
© The Ho Halla. All Rights Reserved.
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?

Powered by ELEVEN BRAND WORKS LIMITED