राम दशरथ यादव
गोसाईगंज (लखनऊ), 16 नवंबर 2025:
राजधानी लखनऊ के गोसाईगंज क्षेत्र में एक देवता ऐसे भी हैं जिनके सिर पर छत नहीं है। छत न होने का कारण छत का न टिकना है। कई बार छत डालने की कोशिश हुई लेकिन हर बार गिर गई। बार बार छत गिरने से श्रद्धालुओं को भी आभास हो गया कि देवता ही छत नहीं चाहते हैं। अब देवस्थान तो भव्य बना है लेकिन जिस स्थान पर वह विराजमान हैं उसके ऊपर छत नहीं है।
बात हो रही है गोसाईगंज के पुराने किले पर स्थित नेगुलाबीर बाबा की। नेगुलाबीर बाबा का मंदिर काफी प्राचीन है। पहले केवल चारों तरफ दीवारें बनी थी। श्रद्धालुओं ने नया स्थान बनवाना चाहा लेकिन छत गिर गई। पूजा अर्चना के बाद फिर छत डाली गई तो फिर गिर गई। जब बाबा के ऊपर का स्थान छोड़ कर छत डाली गई तब रुक गई। गोसाईगंज कस्बे से लेकर आसपास के गांवों के लोग उनको अपना आराध्य मानते हैं।
नेगुलाबीर बाबा के दरबार में विगत कई वर्षों से कार्तिक पूर्णिमा का मेला भी लगता है। बाबा के अलावा यहां विष्णु जी, हनुमान जी, शिवजी, और मां भगवती के साथ ही अन्य देवस्थान भी लोगों की आस्था का केंद्र हैं। कार्तिक पूर्णिमा को यहां धनतिया की पूजा के लिए तमाम महिलाएं ससुराल से पहुंचती हैं और पूजा करवाती हैं। सदरपुर करोरा के पूर्व प्रधान दयानंद यादव ने बताया कि मंदिर के नाम कई बीघे जमीन दर्ज करवाई गई थी।






