
लखनऊ, 19 जून 2025:
उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं निबंधन विभाग में बड़े पैमाने पर किए गए तबादले सवालों के घेरे में हैं। उपनिबंधकों और लिपिकों के तबादलों में व्यापक अनियमितता और रिश्वतखोरी के आरोप सामने आने के बाद प्रदेश शासन ने तत्काल प्रभाव से सभी तबादलों को स्थगित कर दिया है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार महानिरीक्षक निबंधन की ओर से गत 13 जून को तीन अलग-अलग आदेशों के तहत 58 उपनिबंधकों, एक अन्य उपनिबंधक और 29 नवप्रोन्नत उपनिबंधकों के तबादले किए गए थे। इसके अतिरिक्त 14 जून को जारी एक अन्य आदेश में 114 कनिष्ठ सहायकों (लिपिकों) का स्थानांतरण किया गया था।
हालांकि तबादलों में गड़बड़ी और पैसों के लेन-देन के आरोप सामने आने के बाद मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक मामला पहुंचा, जिसके बाद शासन ने सख्त रुख अपनाया। प्रमुख सचिव (राजस्व) अमित गुप्ता ने तत्काल प्रभाव से महानिरीक्षक निबंधन द्वारा जारी सभी तबादला आदेशों को अग्रिम निर्देशों तक के लिए स्थगित कर दिया है।
इस फैसले से विभागीय हलकों में हड़कंप मच गया है, वहीं कई अधिकारियों ने इसे राहत की सांस के रूप में भी देखा है। शासन की इस सख्ती को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश के तौर पर भी देखा जा रहा है।






