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UP में ग्रीन हाइड्रोजन की नई उड़ान : IIT कानपुर और IIT-BHU के साथ दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को मंजूरी

प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन नवाचार और औद्योगिक विकास का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल, ग्रीन हाइड्रोजन ट्रेन तथा बसें चलाने के भी होंगे प्रयास

लखनऊ, 23 दिसंबर 2025:

हरित परिवहन और स्वच्छ ऊर्जा को मजबूती देने की दिशा में यूपी सरकार ने एक बड़ा और दूरदर्शी कदम उठाया है। राज्य सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में अनुसंधान, तकनीकी विकास और औद्योगिक उपयोग को बढ़ावा देने के लिए दो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (COE) की स्थापना को मंजूरी दी है। यह पहल प्रदेश को ग्रीन हाइड्रोजन नवाचार और औद्योगिक विकास का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में मील का पत्थर मानी जा रही है।

पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर द्वारा हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय (HBTU) के सहयोग से स्थापित किया जाएगा। वहीं दूसरा सेंटर IIT-BHU द्वारा गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के साथ मिलकर संचालित किया जाएगा। दोनों सेंटर अपने-अपने साझेदार संस्थानों के परिसरों से कार्य करेंगे।

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यूपी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपी नेडा) के एमडी एवं डायरेक्टर इंद्रजीत सिंह के अनुसार इन सेंटरों में चलने वाली परियोजनाओं का नेतृत्व दोनों संस्थान बारी-बारी से करेंगे। यह सेंटर हब-एंड-स्पोक मॉडल पर आधारित होंगे। इसके तहत प्रदेश के अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों, तकनीकी संस्थानों और पॉलीटेक्निक को भी इससे जोड़ा जाएगा जिससे ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़ा ज्ञान और तकनीक व्यापक स्तर तक पहुंचे।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बायोमास आधारित और इलेक्ट्रोलाइजर आधारित ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर अनुसंधान एवं तकनीकी विकास किया जाएगा। साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2024 के तहत यहां एक इन्क्यूबेशन सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। इसके माध्यम से हर वर्ष 10 स्टार्टअप्स को सहयोग दिया जाएगा और पांच वर्षों में कम से कम 50 स्टार्टअप्स को तकनीकी मार्गदर्शन, मेंटरशिप और वित्तीय सहायता मिलेगी। इसके लिए ₹25 लाख प्रतिवर्ष की सहायता का प्रावधान पांच वर्षों तक किया गया है।

ये सेंटर प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलीटेक्निक संस्थानों के लिए पाठ्यक्रम निर्माण, प्रशिक्षण, मेंटरिंग, तकनीकी प्रदर्शनियों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों के आयोजन में भी अहम भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग से जुड़े विषयों पर राज्य सरकार को नीतिगत सुझाव भी देंगे।

औद्योगिक भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह सुनिश्चित किया गया है कि कम से कम 50 प्रतिशत उद्योग साझेदारी उत्तर प्रदेश से ही हो, जिससे राज्य को औद्योगिक और व्यावसायिक स्तर पर अधिक लाभ मिल सके। हरित परिवहन को आगे बढ़ाने के लिए रेल मंत्रालय के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ट्रेनों और UPSRTC के माध्यम से कानपुर-लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर रूट पर ग्रीन हाइड्रोजन बसें चलाने के प्रयास भी किए जाएंगे। ग्रीन हाइड्रोजन के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना उत्तर प्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा, निवेश, रोजगार और सतत विकास के नए अवसर खोलने वाली ऐतिहासिक पहल साबित होगी।

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