
लखनऊ, 4 नवम्बर 2024:
योगी सरकार के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश टीबी नोटिफिकेशन के क्षेत्र में देशभर में लगातार शीर्ष स्थान बनाए हुए है। इस वर्ष भी राज्य ने अपनी प्रभावशाली कार्यशैली से अन्य राज्यों को पीछे छोड़ते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है। महाराष्ट्र और बिहार क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था और टीबी उन्मूलन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
उत्तर प्रदेश सरकार को केंद्र द्वारा इस वर्ष 6.5 लाख टीबी मरीजों का पंजीकरण करने का लक्ष्य सौंपा गया था। अक्टूबर के अंत तक राज्य ने इस लक्ष्य का 86 प्रतिशत हिस्सा पूरा कर लिया है, जो टीबी जैसी गंभीर बीमारी के प्रति सरकारी प्रयासों की सफलता को रेखांकित करता है। टीबी के प्रति जनजागरूकता और मरीजों की पहचान में राज्य ने निरंतर प्रयास किए हैं, जिससे इस क्षेत्र में अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिले हैं।
इस अभियान में एक खास बात यह रही कि लगभग 40 प्रतिशत मरीजों का पंजीकरण निजी डॉक्टरों के माध्यम से हुआ है। आगरा, मथुरा और झांसी जैसे शहरों में निजी चिकित्सा संस्थानों ने विशेष योगदान दिया है। इन शहरों के निजी डॉक्टरों ने टीबी मरीजों की पहचान और पंजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि निजी चिकित्सा जगत भी सरकार के इस प्रयास में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहा है।
इसके अतिरिक्त, लखनऊ, गोरखपुर और बरेली जैसे बड़े शहरों में सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच समान रूप से टीबी मरीजों की पहचान और नोटिफिकेशन की प्रक्रिया की गई है। यह सहयोग सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच एक संतुलित साझेदारी को दर्शाता है, जो कि किसी भी स्वास्थ्य अभियान की सफलता के लिए आवश्यक है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के कारण, उत्तर प्रदेश में टीबी मरीजों का पहचान दर काफी बढ़ा है, जिससे बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।