देहरादून, 9 जून 2025:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड की लोक भाषाओं, लोक कथाओं, लोकगीतों और साहित्य के डिजिटलीकरण को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। सचिवालय में उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबन्ध कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए ई-लाइब्रेरी की स्थापना की जाए। इसके तहत लोक कथाओं के संकलन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ऑडियो-वीडियो स्वरूप में भी इन्हें प्रस्तुत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने विद्यालयों में सप्ताह में एक दिन स्थानीय बोली-भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सुझाव दिया, जिससे बच्चों में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति रुचि विकसित हो सके। उन्होंने उत्तराखण्ड भाषा एवं साहित्य पर एक भव्य महोत्सव आयोजित करने की भी घोषणा की, जिसमें देशभर से साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा। साथ ही, राज्य की बोलियों का एक विस्तृत भाषाई मानचित्र तैयार करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री ने ‘बुक फॉर बुके’ अभियान को बढ़ावा देने की अपील करते हुए कहा कि बुके की बजाय पुस्तक उपहार में देने की परंपरा को बढ़ावा दिया जाए। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ‘उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान’ की राशि को 5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख 51 हजार रुपये किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा ‘दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान’ की शुरुआत की जाएगी, जिसकी राशि 5 लाख रुपये होगी।
युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘युवा कलमकार प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 18–24 और 25–35 वर्ष के दो आयु वर्गों को शामिल किया जाएगा। राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था की जाएगी और पाठकों को गुणवत्तापूर्ण साहित्य उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख प्रकाशकों का सहयोग लिया जाएगा।
भाषा संस्थान द्वारा बच्चों में लोक भाषाओं के प्रति रुचि बढ़ाने हेतु छोटे-छोटे वीडियो बनाकर प्रचारित किए जाएंगे। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जौनसार-बावर क्षेत्र की पौराणिक परंपरा ‘बाकणा’ (पंडवाणी गायन) का अभिलेखीकरण कर संरक्षित किया जाएगा।
संस्थान द्वारा प्रसिद्ध नाट्यकार गोविंद बल्लभ पंत के समग्र साहित्य का संकलन, उत्तराखण्ड के 50–100 वर्ष पुराने साहित्य का संग्रह और उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं पर शोध परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। राज्य में दो ‘साहित्य ग्राम’ भी स्थापित किए जाएंगे, जहाँ प्राकृतिक वातावरण में साहित्य सृजन, गोष्ठियां और विमर्श आयोजित किए जाएंगे।
बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि तीन वर्षों में भाषा संस्थान ने कई नवाचार किए हैं। स्थानीय बोलियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार भाषायी कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न पुरस्कार भी प्रदान कर रही है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, सचिव वी षणमुगम, श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक भाषा स्वाति भदौरिया, अपर सचिव मनुज गोयल, दून विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री समेत अन्य सदस्य उपस्थित रहे।