
देहरादून, 7 अक्टूबर 2025:
हरिद्वार सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मंगलवार को अपने संसदीय क्षेत्र स्थित शहीद दुर्गामल्ल राजकीय पीजी कॉलेज, डोईवाला में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के शिक्षाविदों, प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने भाग लेकर वैश्विक शिक्षा, नवाचार और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया।
मुख्य अतिथि श्री रावत ने कहा कि भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श पर आधारित है, और आज जब देश ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर अग्रसर है, तब शिक्षा और अनुसंधान ही वह मजबूत आधार हैं जो युवाओं को विश्व नेतृत्व के लिए तैयार कर रहे हैं।
उन्होंने नई शिक्षा नीति (NEP-2020) को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण का अद्भुत संगम बताया, जो ग्रामीण स्तर से लेकर वैश्विक पटल तक ज्ञान का लोकतंत्रीकरण सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने हिंदी और संस्कृत के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और विचारों का संवाहक है। भारत तब ही विश्वगुरु बन पाएगा जब हम अपनी भाषायी जड़ों से आत्मविश्वासपूर्वक जुड़े रहेंगे।
पूर्व सीएम ने शहीद दुर्गामल्ल को नमन करते हुए कहा कि उनके नाम पर स्थापित यह शिक्षण संस्थान न केवल उच्च शिक्षा का केंद्र है, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रेरणास्रोत भी है। उन्होंने कहा कि ऐसे शैक्षणिक मंच युवाओं को ‘लोकल टू ग्लोबल’ दृष्टिकोण से सशक्त बनाते हैं, जो विकसित भारत की पहचान है।
कार्यक्रम में विधायक डोईवाला बृज भूषण गैरोला, कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. पीडी भट्ट, कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष प्रो. मनमोहन कृष्णा, प्रो. अमित ठाकुर, प्रो. एसपी सिंह (IIT रुड़की), विनोद श्रीवास्तव, प्रो. सीवा सिंह (बुंदेलखंड विश्वविद्यालय), डॉ. राकेश भटर सहित शिक्षाविद और विद्यार्थी उपस्थित रहे।