
देहरादून, 18 अगस्त 2025
उत्तराखंड सरकार ने मदरसा बोर्ड को समाप्त कर “उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण” के गठन का एलान किया है। प्रस्तावित अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से न केवल मदरसे बल्कि सिख, ईसाई, जैन, पारसी, गोरखा और बौद्ध अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को भी लाभ मिलेगा। उन्हें धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड का सिलेबस पढ़ाना अनिवार्य होगा।
शैक्षिक सत्र 2026 से लागू होगी नई व्यवस्था
मदरसों की शिक्षण व्यवस्था को लेकर धामी सरकार ने खास निर्णय लिया है। प्रदेश में चल रहे अवैध मदरसों पर ताले जड़ने के बाद अब सरकार ने अगले शैक्षिक सत्र 2026 से मदरसा बोर्ड को समाप्त करने की तैयारी कर ली है। इसके स्थान पर “उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण” का गठन किया जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2023 तक 416 पंजीकृत मदरसों में 45,808 बच्चे अध्ययनरत थे, जिनमें सर्वाधिक छात्र कक्षा 1 से 8 तक थे। वहीं करीब 576 अवैध मदरसों में लगभग 60 हजार बच्चों को केवल धार्मिक तालीम दी जा रही थी।
फर्जीवाड़ा व मनमानी की शिकायतों ने मदरसा शिक्षा पर उठाए थे सवाल
सरकार के सर्वे में पाया गया कि अधिकांश अवैध मदरसे बिना हिसाब-किताब के चंदे पर चलते थे और संचालक लग्जरी लाइफ जी रहे थे, जबकि बच्चों की शिक्षा व सुविधाएं बदहाल थीं। अब तक 237 अवैध मदरसों को सील किया जा चुका है। धामी सरकार का कहना है कि मदरसों में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम केवल औपचारिकता के तौर पर पढ़ाया जाता है और वास्तविक जोर केवल धार्मिक शिक्षा पर रहता है। रिपोर्ट में कई जगह फर्जी आधार कार्ड से बच्चों के दाखिले की भी पुष्टि हुई है।
प्राधिकरण छात्रों को धार्मिक शिक्षा संग बोर्ड के सिलेबस की पढ़ाई कराएगा
इस फैसले पर मदरसा बोर्ड के चेयरमैन मुफ़्ती शमूम कासमी और वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने भी सहमति जताई है। शम्स ने कहा कि “एक देश एक शिक्षा” की दिशा में धामी सरकार का यह कदम साहसिक है और इससे बच्चों को आधुनिक शिक्षा का लाभ मिलेगा। प्रस्तावित अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण से न केवल मदरसे बल्कि सिख, ईसाई, जैन, पारसी, गोरखा और बौद्ध अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान भी लाभान्वित होंगे। उन्हें धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड का सिलेबस पढ़ाना अनिवार्य होगा।






