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Reading: बाढ़ से जूझ रही वाराणसी : घाट डूबे, चुनौती बना शवों का अंतिम संस्कार, नगर निगम ने कमर कसी
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Uttar Pradesh

बाढ़ से जूझ रही वाराणसी : घाट डूबे, चुनौती बना शवों का अंतिम संस्कार, नगर निगम ने कमर कसी

TheHoHallaTeam
Last updated: August 5, 2025 1:25 pm
TheHoHallaTeam 1 month ago
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अंशुल मौर्य

वाराणसी, 5 अगस्त 2025 :

यूपी की शिवनगरी काशी गंगा के रौद्र रूप का सामना कर रही है। पानी की चादर ने सब कुछ अपनी आगोश में ले लिया है। किनारे के सभी घाट पानी में समा चुके है। ऐसे में शवों का अंतिम संस्कार चुनौती बन गया है। आलम ये है कि शव को नाव से लाया जा रहा है। विकट हो रही स्थित को देखकर प्रशासन के साथ नगर निगम भी अलर्ट हो गया है। कंट्रोल रूम स्थापित कर क्विक रिस्पांस टीम गठित की गई है।

बता दें कि वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे का निशान पार करने के बाद लगातार बढ़ ही रहा है। सोमवार को दोपहर बाद शीतला घाट की तरफ से पानी चढ़ने लगा और सब्जी मंडी को पार करते हुए दशाश्वमेध प्लाजा तक पहुंच चुका था। नमो घाट पर स्कल्पचर भी डूब गया है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से जिले के छह प्रमुख श्मशान घाट राजघाट, डोमरी, सरायमोहाना, गढ़वाघाट, सिपहिया घाट और रमना पानी में डूब चुके हैं। अब केवल मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट ही शवदाह के लिए बचे हैं, लेकिन यहां भी हालात आसान नहीं हैं।

काशी के पवित्र मणिकर्णिका घाट पर गंगा के उफान ने अंतिम संस्कार को एक कठिन चुनौती बना दिया है। मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए परिजनों को घुटने भर पानी में खड़े होकर पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। गंगा का पानी सतुआ बाबा आश्रम तक पहुंच चुका है, जिससे शवों को घाट तक लाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन नाविकों की मनमानी ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। एक बार में केवल पांच परिजनों को ही शव के साथ जाने की अनुमति है, जिसके चलते लोग घंटों पानी में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। दूसरी ओर, हरिश्चंद्र घाट पर तंग गलियों में शवदाह की जगह कम होने के कारण ढाई से तीन घंटे की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।

बाढ़ ने न सिर्फ इंतजार का समय बढ़ाया है, बल्कि अंतिम संस्कार का खर्च भी दो से तीन गुना हो गया है। सामान्य दिनों में मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए लकड़ी 600-700 रुपये प्रति मन मिलती थी, लेकिन अब व्यापारी 1000-1200 रुपये वसूल रहे हैं। पहले जहां एक सामान्य शवदाह का खर्च 5000 रुपये के आसपास था, अब यह 12,000 से 15,000 रुपये तक पहुंच गया है। हरिश्चंद्र घाट पर भी शवदाह का खर्च 8,000 से 10,000 रुपये तक हो गया है। डोमराजा परिवार के सदस्य बहादुर, अभिषेक और विष्णु चौधरी बताते हैं कि बाढ़ के कारण लकड़ियां दूर से लानी पड़ रही हैं और भीगी लकड़ियों की लागत बढ़ गई है, जिसका बोझ परिजनों पर पड़ रहा है।

इन हालातों में वाराणसी नगर निगम ने भी कमर कस ली है। बाढ़ की चुनौती से निपटने के लिए युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किए गए हैं। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के नेतृत्व में 24 घंटे चलने वाला कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जो आपात स्थिति में तत्काल सहायता सुनिश्चित करेगा। नगर निगम ने क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) का गठन किया है, जिसमें जलकल, प्रकाश, अभियंत्रण और सफाई विभाग के अधिकारी शामिल हैं। यह टीम बाढ़ से जुड़ी समस्याओं का तुरंत समाधान करेगी। किसी भी आपातकाल के लिए नागरिक टोल-फ्री नंबर 18001805567, 1533 या मोबाइल नंबर 8601872688 पर संपर्क कर सकते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 25 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहाँ तीन शिफ्टों में सफाईकर्मी और सुपरवाइजर तैनात हैं। बीमारियों से बचाव के लिए नियमित फॉगिंग, एंटी-लार्वा स्प्रे और साइफेनिथ्रिन का छिड़काव किया जा रहा है।

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