
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 26 सितंबर 2025:
यूपी के वाराणसी स्थित पहड़िया फल मंडी इन दिनों कश्मीरी सेबों से अटी पड़ी है। लाल-रसीले सेबों की आवक ने मंडी को रंगीन तो किया है, लेकिन व्यापारियों के चेहरों पर उदासी छाई है। मानसून की मार और कश्मीर के रास्तों की बंदिश ने सेब के कारोबार को झटका दिया है, जिसके चलते थोक कीमतें आधी हो गई हैं।
बता दें कि कुछ समय पहले तक पूर्वांचल में सेब की कीमतें आसमान छू रही थीं। कश्मीर और हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में बारिश और भूस्खलन ने रास्तों को जाम कर दिया था। नेशनल हाईवे 15 से 20 दिनों तक बंद रहा, जिससे सेब से लदी गाड़ियां रास्ते में ही अटक गईं। लेकिन जैसे ही रास्ते खुले, सेब की गाड़ियां एक साथ मंडी में दौड़ पड़ीं। इस अचानक आवक ने मंडी में सेब की बाढ़-सी ला दी।
स्थानीय व्यापारी चांद भाई, हाजी तौफीक, गुलजार अहमद, रमेश और गोपाल सोनकर बताते हैं कि सेब के मुख्य सीजन में रास्तों की खराबी ने कारोबार को ठप कर दिया। अब जब सेब की बंपर आवक हुई है, तो कीमतें औंधे मुंह गिर गई हैं। कश्मीरी सेब का थोक रेट 30 से 50 रुपये प्रति किलो तक लुढ़क गया है, जबकि बाजार में यही सेब 70 से 100 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। मंडी में दर्जनों गाड़ियां खड़ी हैं, जिनका माल बिकने का इंतजार कर रहा है।
हालांकि कीमतों की गिरावट ही एकमात्र समस्या नहीं है। व्यापारियों का कहना है कि रास्ते में देरी की वजह से सेब की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है। ग्राहक अब खरीदारी में हिचक रहे हैं, जिससे व्यापारियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। मंडी में सेब की अधिकता ने व्यापारियों को अपने माल को बेचने के लिए मजबूर कर दिया है, लेकिन खरीदारों की कमी ने उनके हाथ बांध दिए हैं।
व्यापारी अब सरकार की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। वे मांग कर रहे हैं कि इस संकट से उबरने के लिए उन्हें सहायता दी जाए। उनका मानना है कि अगर जल्द ही हालात नहीं सुधरे, तो नुकसान का बोझ और भारी हो सकता है। मंडी में स्थिरता तभी आएगी, जब कश्मीर से सेब की आवक सामान्य होगी और गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाएगा। फिलहाल, वाराणसी की फल मंडी में कश्मीरी सेब की चमक तो है, लेकिन व्यापारियों के लिए यह चमक फीकी पड़ रही है।