Uttar Pradesh

गोरखनाथ पीठ का विजयादशमी महोत्सव: योगी आदित्यनाथ ने निभाया राजधर्म और संत कर्तव्य का अनूठा संगम

गोरखपुर, 13 अक्टूबर 2024 :

विजयादशमी के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर से निकली पारंपरिक शोभायात्रा का आयोजन भव्य रूप से किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने राजधर्म और संत कर्तव्य का अनूठा समन्वय करते हुए नेतृत्व किया। इस शोभायात्रा का प्रमुख आकर्षण यह रहा कि इसमें सभी वर्गों, विशेषकर अल्पसंख्यक समुदाय ने भी भावपूर्ण स्वागत किया। योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ का विशेष पूजन किया और बाद में शोभायात्रा की अगुवाई करते हुए मानसरोवर रामलीला मैदान में पहुंचकर प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक किया।

गोरक्षपीठ की ऐतिहासिक विजयादशमी शोभायात्रा

गोरखनाथ मंदिर की विजयादशमी शोभायात्रा हर साल की तरह इस बार भी भव्यता से निकली, लेकिन इस बार विशेष बात यह रही कि अल्पसंख्यक समाज के लोग भी इसमें शामिल हुए। गोरखनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर मुस्लिम समाज के लोगों ने पुष्पवर्षा कर गोरक्षपीठाधीश्वर का स्वागत किया। उर्दू अकादमी के निवर्तमान चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा और उनके साथ आए समाज के अन्य सदस्यों ने योगी आदित्यनाथ को केसरिया अंगवस्त्र पहनाकर उनका अभिनंदन किया।

गोरखनाथ पीठ की यह विजयादशमी शोभायात्रा, नाथपंथ की महान परंपरा का प्रतीक है। यह परंपरा गोरखनाथ मंदिर से चलती है, जिसमें हर वर्ष विजयादशमी के दिन गुरु गोरखनाथ का पूजन कर शोभायात्रा निकाली जाती है। योगी आदित्यनाथ, इस परंपरा के संरक्षक होने के नाते, शोभायात्रा का नेतृत्व करते हैं, और पूरे मार्ग में श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए आतुर रहते हैं।

राजदंड और संत धर्म का अनूठा संगम

गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर राजधर्म और संत धर्म का भी शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया। विजयादशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर में संतों की अदालत लगाई गई, जिसमें योगी आदित्यनाथ दंडाधिकारी की भूमिका में रहे। यह नाथपंथ की एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें संत समाज के बीच के विवादों का निपटारा किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी धार्मिकता और अनुशासन के साथ संपन्न होती है, और योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य को राजधर्म के अनुसार संपादित किया।

इस अद्वितीय संत अदालत में गोरक्षपीठाधीश्वर ने संत समाज के विवादों का निपटारा किया। इस मौके पर संतगणों ने योगी आदित्यनाथ को “पात्र देव” के रूप में पूजित किया, और विवादों के समाधान के लिए उनकी आधिकारिक सुनवाई की। इस अदालत में कोई झूठ नहीं बोलता और यह समाज में धार्मिक अनुशासन की स्थापना का प्रतीक है।

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