मुंबई, 5 अप्रैल 2025
महाराष्ट्र में मराठी बनाम अमराठी बहस के बीच अब उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी मराठी भाषा के मुद्दे पर मोर्चा खोल दिया है। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) द्वारा बैंकों और अन्य संस्थानों में मराठी भाषा के प्रयोग को लेकर शुरू किए गए आंदोलन के बाद अब शिवसेना के प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस मुद्दे पर पोस्टर लगाकर कहा है कि वे ‘मार से नहीं, प्यार से मराठी सिखाएंगे’। उन्होंने साफ किया कि शिवसेना मराठी भाषा को जबरन थोपने के बजाय प्रेमपूर्वक सिखाने की नीति पर काम करेगी। एमएनएस ने 30 मार्च को गुड़ी पड़वा के मौके पर अपने रुख को दोहराते हुए चेतावनी दी थी कि जो जानबूझकर मराठी भाषा का उपयोग नहीं करेगा, उसे थप्पड़ मारे जाएंगे।
ठाणे और पुणे जिलों में एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा बैंकों के प्रबंधकों से मराठी में संवाद न करने पर बदसलूकी की घटनाएं सामने आई थीं, जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया। इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मराठी भाषा के इस्तेमाल की मांग करना गलत नहीं है लेकिन कानून हाथ में लेने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रकार की जबरदस्ती से निपटने के लिए प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी। एमएनएस आगामी महानगरपालिका चुनावों को ध्यान में रखते हुए मराठी पहचान को लेकर आक्रामक अभियान चला रही है।
अब जब शिवसेना भी इसी मुद्दे पर सक्रिय हुई है, तो राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी एमएनएस के एजेंडे को ‘हाईजैक’ करने की कोशिश कर रही है। मराठी अस्मिता और भाषा की राजनीति महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रही है और अब चुनावी मौसम में यह फिर से प्रमुखता से उभर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता इस पर किसे अधिक भरोसेमंद मानते हैं – आक्रामक एमएनएस या संयमित शिवसेना।