मुंबई, 21 अक्टूबर 2024
शमशेर राज कपूर जिन्हे पूरी दुनिया शम्मी कपूर के नाम से जानती है, एक भारतीय फिल्म अभिनेता और निर्देशक थे, अपने जमाने के मशहूर एक्टर शम्मी कपूर की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हम उनकी जिंदगी के खास पलों को याद करते हैं। अपनी एक्टिंग और डॉयलॉग के कारण जाने जाने वाले शम्मी कपूर की पर्सनल लाइफ भी काफी दिलचस्प रही है। जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में काम किया था। साल 1968 में इन्होने अपनी फिल्म ब्रह्मचारी के लिए, फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर अवार्ड जीता था। वो दिवंगत एक्टर शम्मी कपूर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके काम की चमक आज भी कायम है। बड़ी-बड़ी आंखें, चेहरे पर गजब का तेज, उनकी भाव-भंगिमा की तरह उनकी आवाज भी गरजती थी. हिंदी सिनेमा पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले अभिनेता एक मस्तमौला इंसान थे। 21 अक्टूबर, 1931 को जन्में शम्मी कपूर का पूरा नाम शमशेर राज कपूर था। शम्मी कपूर को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान और सफल अभिनेताओं में से एक माना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में भी काम किया था। उस दशक में भी उनके पास 3 फिल्मफेयर पुरस्कारों के साथ सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार था। शम्मी कपूर का जन्म मुंबई में पृथ्वीराज कपूर और रामशरनी मेहरा कपूर के घर हुआ था।
कोलकाता में बिताया था जीवन का बड़ा हिस्सा
उन्होंने अपने बचपन का एक बड़ा हिस्सा कोलकाता में बिताया था। कोलकाता में ही उन्होंने अपनी मोंटेसरी शिक्षा और किंडरगार्टन की पढ़ाई की। मुंबई वापस आने के बाद पहले सेंट जोसेफ कॉन्वेंट (वडाला) और फिर डॉन बॉस्को स्कूल में एडमिशन लिए। उन्होंने ह्यूजेस रोड स्थित न्यू एरा स्कूल से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। रामनारायण रुइया कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद वह अपने पिता की ड्रामा कंपनी पृथ्वी थियेटर्स में शामिल हो गए थे और कई सालों तक काम किया।
साल 1953 में की करियर की शुरुआत
शम्मी कपूर ने साल 1953 में आई ‘जीवन ज्योति’ के साथ हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की थी। फिल्म को महेश कौल ने निर्देशित किया था, जिसमें उनकी अभिनेत्री चांद उस्मानी थीं. शम्मी कपूर के जीवन में असफलता से सफलता तक का रास्ता भी काफी लंबा था। उन्होंने ‘रेल का डिब्बा’, ‘नकाब’, ‘हम सब चोर हैं’, ‘महबूबा शमां परवाना’, ‘मेम साहिब’, ‘चोर बाजार’ जैसी फिल्मों में काम किया। शम्मी कपूर को बड़ी सफलता नासिर हुसैन निर्देशित ‘तुम सा नहीं देखा’, ‘दिल देकर देखो’ के साथ मिली।
जीवन ज्योति’ फिल्म से रखा था बॉलीवुड में कदम
अभिनेता शम्मी कपूर ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड फिल्म ‘जीवन ज्योति’ में काम किया था। इस फिल्म को करने के बाद शम्मी कपूर को कभी जीवन में मुड़कर नहीं देखना पड़ा। उन्होंने 50 से अधिक फिल्मों में काम किया है।
लाजबाव फिल्मों में शानदार अभिनय
शम्मी कपूर ने ‘जंगली’, ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देके देखो’, ‘चाइना टाउन’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जानवर’, ‘सिंगापुर’, ‘कॉलेज गर्ल’, ‘प्रोफेसर’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘अंदाज’, ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’, ‘ब्रह्मचारी’ और ‘सच्चाई’ जैसी शानदार फिल्मों के कारण जाना जाता है।
फिल्मफेयर से लेकर कई पुरस्कार मिल चुके हैं
अभिनेता शम्मी कपूर को 1968 में आई ‘ब्रह्मचारी’ फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। इसके साथ ही विधाता फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। बता दें कि शम्मी कपूर ने बतौर निर्देशक भी काम किया है। उन्होंने ‘मनोरंजन’ फिल्म का निर्देशन भी किया।
जब पत्नी की मौत के बाद नहीं लगाया शराब को हाथ
अभिनेता शम्मी कपूर ने पहली पत्नी के निधन के बाद शराब छोड़ दी थी। शम्मी कपूर ने 1 जनवरी से 21 जनवरी के बीच कभी शराब नहीं पी। गीता बाली जो कि उनकी पहली पत्नी थीं, वो जनवरी में बीमारी हुई थी, 21 को उनका निधन हो गया था। इस कारण से उन्होंने बाद में शराब को हाथ भी नहीं लगाया था।
मुमताज़ से हुआ इश्क
कहते हैं कि गीता के निधन के बाद पहले शम्मी का दिल बीना रमानी पर आया. कुछ वक्त बाद ही वो मुमताज़ को दिल दे बैठे. मुमताज़ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शम्मी कपूर उनसे शादी करना चाहते थे, लेकिन वो उस वक्त करियर बनाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने शादी से इनकार कर दिया था. दरअसल उस वक्त मुमताज़ की उम्र बहुत कम थी और शम्मी की उम्र उनसे दोगुनी थी.
किडनी की बीमारी से हुआ था शम्मी कपूर का निधन
शम्मी और गीता के दो बच्चे (एक बेटा और एक बेटी) हुए। शादी के 10 साल बाद ही गीता को चेचक की बीमारी हो गई और साल 1965 में उनका निधन हो गया। शम्मी ने शादी से पहले ही नीला के सामने यह शर्त रख दी थी कि वह कभी मां नहीं बनेंगी और गीता के बच्चों को ही अपने बच्चे की तरह पालेंगी। दूसरी पत्नी नीला ने बताया कि शम्मी को बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता था। 14 अगस्त 2011 को क्रोनिक किडनी डिजीज के कारण शम्मी कपूर का निधन हो गया था।