
नई दिल्ली, 31 मई 2025
भारत और चीन सहित कई बड़े देश लगातार अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा कर रहे हैं। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट में सामने आया है कि 31 मार्च 2025 तक भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 879.58 टन तक पहुंच गया है, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 57.58 टन अधिक है। साथ ही इसकी कुल वैल्यू में 57 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
गोल्ड को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। यह न सिर्फ स्थिर रिटर्न देता है, बल्कि आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के समय में यह एक मजबूत बैकअप भी साबित होता है। यही वजह है कि भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं अपनी मुद्रा को मजबूत करने के लिए सोने का भंडारण कर रही हैं।
चीन की बात करें तो वहां की सेंट्रल बैंक PBoC ने फरवरी 2025 में 5 टन सोना खरीदा। यह लगातार चौथा महीना था जब चीन ने गोल्ड रिजर्व बढ़ाया। अब उसके पास कुल 2,290 टन से अधिक सोना है, जो उसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 6 प्रतिशत है। केवल जनवरी और फरवरी 2025 के बीच चीन ने कुल 10 टन सोना खरीदा।
भारत और चीन के अलावा अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित देशों के पास भी विशाल गोल्ड रिजर्व हैं। अमेरिका के पास 8,133.5 टन से ज्यादा सोना है जबकि जर्मनी के पास करीब 3,500 टन।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर युद्ध, आर्थिक अस्थिरता और मुद्रा संकट जैसी स्थितियों के बीच देश ऐसी संपत्तियों में निवेश करना चाहते हैं जो समय के साथ स्थिर बनी रहें। यही कारण है कि सोना फिर से सबसे भरोसेमंद संपत्ति के रूप में उभर रहा है।
गोल्ड रिजर्व बढ़ाने की यह होड़ केवल निवेश नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आने वाले समय में यह प्रतिस्पर्धा और तेज हो सकती है।





