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अविवाहित कन्याओं के लिए क्यों है ये खास दिन? जानिए कैसे मिलेगा वरदान

ऐसी मान्यता है कि विवाह पंचमी पर विशेष पूजा और सरल उपाय करने से अविवाहित कन्याओं के विवाह योग मजबूत होते हैं और विवाहित दंपति को दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है।

लखनऊ, 25 नवंबर 2025 :

क्या आप भी अपने जीवनसाथी के इंतजार में हैं? अगर हां तो, ये त्योहार आपके लिए बहुत खास है। क्योंकि आज 25 नवंबर को विवाह पंचमी है, जो हर साल भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह की याद में मनाया जाता है। इसे शादी और दांपत्य जीवन से जुड़े शुभ दिन के रूप में जाना जाता है।

क्यों माना जाता है इस दिन को दैवीय संगम?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जनकपुरी में आयोजित स्वयंवर में भगवान राम ने शिव धनुष तोड़ा था। इसी दिन उनका माता सीता से विवाह हुआ। इसलिए विवाह पंचमी को दैवीय संगम का शुभ दिन माना जाता है।

इस दिन अविवाहित कन्याएं और विवाहित दंपति दोनों ही अपने जीवन में सुख और मंगल पाने के लिए विशेष पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन कैसे करें पूजा और कौन से उपाय आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकते हैं।

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पूजा का सही तरीका क्या है?

विवाह पंचमी पर सुबह स्नान करके साफ और शुभ रंग के वस्त्र पहनें, जैसे पीला या लाल। घर के पवित्र स्थान पर भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें। दीपक जलाकर संकल्प लें और “सीता-राम” नाम का जाप कम से कम 108 बार करें। अविवाहित कन्याएं हल्दी-अक्षत अर्पित करें, जबकि विवाहित जोड़े मिलकर दांपत्य सुख की कामना करें। पूजा के बाद पीले फूल, गुड़ या बताशा का भोग लगाना शुभ माना जाता है।

कितने लाभकारी हैं ये विशेष उपाय?

सीता-राम का मंत्र जपें: सुबह स्नान के बाद राम-सीता के सामने दीप जलाएं और “सीता-राम” नाम का जाप करें। इससे विवाह योग मजबूत होते हैं और दांपत्य जीवन में मिठास आती है।

पीले फूल अर्पित करें: पीला रंग सौभाग्य और शांति का प्रतीक है। इस दिन पीले या केसरिया फूल अर्पित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

सुहाग की वस्तुएं दान करें: चूड़ी, बिंदी, सिंदूर या लाल कपड़ा गरीब महिलाओं को देने से विवाह संबंधी अड़चनें दूर होती हैं।

तुलसी के पास दीपक जलाएं: शाम को तुलसी के पौधे के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। इससे घर में सुख-शांति बढ़ती है और दांपत्य जीवन में मिठास आती है।

क्या है इस तिथि का महत्व?

विवाह पंचमी की तिथि 24 नवंबर रात 9:22 बजे से शुरू होगी और 25 नवंबर रात 10:56 बजे तक रहेगी। इस समय के बीच की पूजा सबसे शुभ मानी जाती है।

इस विवाह पंचमी, ये सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय करने से अविवाहित कन्याओं के विवाह योग मजबूत होंगे और विवाहित दंपति को दांपत्य सुख का आशीर्वाद मिलेगा।

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