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क्या बदल जाएगी फंडिंग की पूरी व्यवस्था? राष्ट्रपति को सौंपी गई अहम रिपोर्ट

16वें वित्त आयोग की यह रिपोर्ट अगले पांच साल में देश की आर्थिक तस्वीर कैसे बदलेगी, इसका पूरा राज अपने अंदर छुपाए बैठी है।

लखनऊ, 18 नवंबर 2025 :

यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐसा पल है, जिस पर आने वाले पांच साल की दिशा तय होगी। कौन सा राज्य कितनी फंडिंग पाएगा, केंद्र का हिस्सा कितना रहेगा और विकास की रफ्तार किस तरह संतुलित होगी… इन सभी सवालों का जवाब लिए 16वें वित्त आयोग की अंतिम रिपोर्ट अब राष्ट्रपति के पास है। यह सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत के वित्तीय ढांचे की रीढ़ बनने वाला ब्लूप्रिंट है, जिसकी हर सिफारिश करोड़ों लोगों के जीवन को सीधे प्रभावित करेगी।

आयोग की रिपोर्ट में अगले पांच साल के लिए क्या है?

2026 से 2031 तक केंद्र और राज्यों के बीच कर बंटवारे का नया फॉर्मूला क्या होगा, इसका रोडमैप तैयार करते हुए 16वें वित्त आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी। आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगड़िया अपनी टीम के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान रिपोर्ट का औपचारिक हस्तांतरण करने पहुंचे। रिपोर्ट की कॉपी बाद में प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री को भी भेजी गई।

रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

इस रिपोर्ट में केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स के बंटवारे का ढांचा कैसा हो, राज्यों के बीच हिस्सेदारी कैसे तय हो और किन अनुदानों की जरूरत पड़ेगी, इन सभी मुद्दों पर विस्तृत सुझाव दिए गए हैं। साथ ही आपदा प्रबंधन के लिए फंडिंग सिस्टम का भी पुनरावलोकन किया गया है। ये सभी सिफारिशें अगले पांच साल की अवधि यानी 1 अप्रैल 2026 से लागू होने के लिए तैयार की गई हैं।

कैसे बना सोलहवां वित्त आयोग?

सोलहवें वित्त आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया गया था। आयोग को यह जिम्मेदारी मिली थी कि वह केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्थिति, जरूरतें और विकास संतुलन को देखते हुए एक ऐसा फॉर्मूला सुझाए जो सभी के लिए उपयुक्त हो।

गहराई से किए गए अध्ययन और मीटिंग्स

अपने कार्यकाल के दौरान आयोग ने केंद्र और सभी राज्यों के वित्तीय रिकॉर्ड का डिटेल में विश्लेषण किया। इसके लिए राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और केंद्र सरकार के साथ कई राउंड की बड़ी बैठकों का आयोजन किया गया। आयोग ने पूर्व वित्त आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों, नामी शिक्षण संस्थानों, मल्टीलैटरल एजेंसियों और अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से भी सलाह ली।

रिपोर्ट दो हिस्सों में तैयार

अंतिम रिपोर्ट दो भागों में विभाजित है। पहला हिस्सा आयोग की सभी सिफारिशों को समेटता है। दूसरा हिस्सा परिशिष्टों यानी annexures के रूप में विस्तृत जानकारी पेश करता है। संविधान के अनुच्छेद 281 के अनुसार यह रिपोर्ट संसद में वित्त मंत्री द्वारा पेश किए जाने के बाद सार्वजनिक की जाएगी।

क्यों है यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण?

यह रिपोर्ट आने वाले वर्षों में केंद्र और राज्यों के बीच आर्थिक संतुलन तय करेगी। राज्यों को मिलने वाली फंडिंग, टैक्स शेयर, विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली सहायता और आपदा प्रबंधन के संसाधनों पर इसका सीधा असर होगा। इसी कारण इसे देश की वित्तीय दिशा तय करने वाला बड़ा दस्तावेज माना जा रहा है।

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