
हरिद्वार, 2 जुलाई 2025
सावन का महीना आते ही देशभर में कांवड़ यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा में लाखों शिवभक्त भाग लेंगे। लेकिन एक सवाल जो हर साल उठता है वह यह कि क्या महिलाएं कांवड़ यात्रा कर सकती हैं? धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार इसका उत्तर है – हां, बिल्कुल कर सकती हैं।
भगवान शिव को अर्धनारीश्वर स्वरूप में पूजा जाता है, जो यह दर्शाता है कि उनकी भक्ति का अधिकार पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से है। शास्त्रों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि महिलाएं कांवड़ यात्रा नहीं कर सकतीं। बल्कि आज के समय में कई महिलाएं बड़े उत्साह के साथ इस धार्मिक यात्रा में भाग लेती हैं।
कांवड़ यात्रा शिवभक्ति का एक कठिन लेकिन पवित्र रूप है, जिसमें गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है। यह यात्रा आमतौर पर नंगे पांव की जाती है और इसमें तप, नियम और संयम का पालन आवश्यक होता है। महिलाएं अगर शारीरिक रूप से सक्षम हैं और श्रद्धा के साथ यात्रा करना चाहती हैं, तो वे बिल्कुल इस यात्रा का हिस्सा बन सकती हैं।
अब महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए नारी कांवड़ और शक्ति कांवड़ जैसे विशेष समूह बनाए गए हैं। इनके साथ मेडिकल सहायता, अलग कैंप, पुलिस सुरक्षा और यात्रा प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था भी की जाती है।
हालांकि महिलाओं को कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए—
-
मासिक धर्म के दौरान यात्रा से बचें।
-
यात्रा शुरू करने से पहले चिकित्सकीय जांच कराएं।
-
जरूरी दवाइयों, आरामदायक वस्त्रों और पर्याप्त जल की व्यवस्था रखें।
हर साल देशभर से हजारों महिलाएं इस पावन यात्रा में भाग लेकर आस्था और साहस का परिचय देती हैं। कांवड़ यात्रा, आस्था और आत्मबल का संगम है—और इसमें महिलाओं की भागीदारी पूरी तरह स्वीकार्य और स्वागतयोग्य है।