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विश्व मोटापा दिवस: जागरूकता और स्वस्थ जीवन की ओर कदम

नयी दिल्ली,4 मार्च 2025:

हर साल 4 मार्च को “विश्व मोटापा दिवस” (World Obesity Day) मनाया जाता है। यह दिन वैश्विक स्तर पर मोटापे की बढ़ती समस्या के प्रति जागरूकता फैलाने और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। मोटापा आज केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक महामारी बन चुका है, जो बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी आयु वर्ग को प्रभावित कर रहा है। विश्व मोटापा संघ (World Obesity Federation) द्वारा आयोजित इस दिन का उद्देश्य लोगों को मोटापे के खतरों से अवगत कराना और इसे रोकने के लिए प्रभावी उपायों को बढ़ावा देना है।

मोटापा: एक गंभीर चुनौती

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में अतिरिक्त वसा का संचय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है। भारत में भी मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। शहरीकरण, बदलती जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 13.5 करोड़ लोग मोटापे से प्रभावित हैं, और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। मोटापा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है।

विश्व मोटापा दिवस का महत्व

विश्व मोटापा दिवस पहली बार 2015 में मनाया गया था। तब से यह हर साल एक खास थीम के साथ आयोजित किया जाता है, जो मोटापे से निपटने के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होता है। WHO के अनुसार, 2025 के विश्व मोटापा दिवस की थीम ‘स्वस्थ भविष्य का निर्माण: रोकथाम और देखभाल के माध्यम से मोटापे से निपटना’ है। इस संदेश के अंतर्गत सरकारों, स्वास्थ्य प्रणालियों और समुदायों से अपेक्षा की जा रही है कि वे मोटापे की रोकथाम और उचित देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दें, ताकि आने वाले समय में एक स्वस्थ और संतुलित समाज का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके। यह दिन न केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी को रेखांकित करता है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों से जुड़े इस मुद्दे पर एकजुट प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर देता है।

मोटापे से बचाव के उपाय

मोटापे को रोकने के लिए कुछ आसान लेकिन प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. संतुलित आहार: फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बजाय ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन को प्राथमिकता दें।
  2. नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे पैदल चलना, योग या खेल, मोटापे को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  3. जागरूकता: अपने शरीर के वजन और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की नियमित जांच करें।
  4. बच्चों में स्वस्थ आदतें: बच्चों को कम उम्र से ही स्वस्थ खान-पान और सक्रिय जीवनशैली की आदत डालें, क्योंकि बचपन का मोटापा भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
  5. नींद और तनाव प्रबंधन: अपर्याप्त नींद और तनाव भी मोटापे का कारण बन सकते हैं, इसलिए इनका ध्यान रखना जरूरी है।

भारत में मोटापे की स्थिति

भारत में मोटापा एक दोहरी चुनौती बनकर उभरा है। एक ओर कुपोषण की समस्या है, तो दूसरी ओर मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में फास्ट फूड की बढ़ती लोकप्रियता और बैठे-बैठे काम करने की संस्कृति ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी जागरूकता की कमी के कारण लोग मोटापे के जोखिमों को समझ नहीं पाते। ऐसे में सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की जरूरत है।

एक कदम आगे

विश्व मोटापा दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ जीवन हमारा अधिकार और जिम्मेदारी दोनों है। यह केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक सतत प्रयास की शुरुआत है। हमें अपने परिवार, दोस्तों और समाज को इस मुहिम में शामिल करना चाहिए। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे पैदल चलना, घर का बना खाना खाना और स्क्रीन टाइम कम करना, बड़े परिणाम ला सकते हैं।
आइए, इस विश्व मोटापा दिवस पर संकल्प लें कि हम न केवल अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ भविष्य देंगे। मोटापे से लड़ाई में हर कदम मायने रखता है, और यह बदलाव हमसे ही शुरू होता है।

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