
नई दिल्ली, 01 अगस्त 2025
भारत की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका और रूस जैसे सैन्य महाशक्तियों के हथियारों के प्रस्तावों को दरकिनार करते हुए भारत अब आत्मनिर्भरता के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अमेरिका के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट को लेकर भारत की रुचि ठंडी पड़ गई है। सूत्रों के अनुसार, भारत अब पूरी तरह अपने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट पर भरोसा दिखा रहा है।
F-35 को लेकर भारत की चिंताओं में सबसे अहम था टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की गैर-मौजूदगी और अमेरिकी प्रतिबंध कानूनों का खतरा। इसके अलावा F-35 की स्टील्थ क्षमताओं को लेकर भी भारत के पास तकनीकी संदेह हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपने रडार सिस्टम के ज़रिए F-35B को ट्रैक कर लिया था, जिससे इसकी असल क्षमताओं पर सवाल खड़े हो गए। तिरुवनंतपुरम में लंबे समय तक खड़ा रहा एक F-35B विमान भारत की नजर में उसकी साख को और गिरा गया।
दूसरी ओर, रूस द्वारा Su-57E का ऑफर दिया गया जिसमें सोर्स कोड और तकनीकी ट्रांसफर शामिल है। फिर भी भारत ने उस प्रस्ताव पर त्वरित सहमति नहीं दी है। इससे साफ है कि भारत अब केवल हथियार खरीदने वाला ग्राहक नहीं रहना चाहता, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार और निर्माता की भूमिका में रहना चाहता है।
इसके अलावा अमेरिकी Stryker बख्तरबंद वाहन और Javelin मिसाइल भी भारत की आवश्यकताओं पर खरे नहीं उतर पाए। भारत अब अपने Zorawar टैंक, FICV और DRDO की MPATGM जैसी स्वदेशी परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रहा है।
भारत की नई नीति यह स्पष्ट संदेश दे रही है – अब वह टेक्नोलॉजी, आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक रणनीतिक संतुलन के साथ आगे बढ़ना चाहता है।