
नई दिल्ली, 9 जुलाई 2025
देश भर की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने आज 9 जुलाई को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। यह हड़ताल केंद्र सरकार की श्रम विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ बुलाई गई है। आयोजकों का दावा है कि इस बंद में करीब 25 करोड़ कर्मचारी और मजदूर हिस्सा ले रहे हैं, जिससे बैंकिंग, डाक, कोयला खनन, निर्माण, सड़क परिवहन और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में एटक, एचएमएस, सीटू, इंटक, टीयूसीसी, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित अन्य यूनियनें शामिल हैं। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संगठनों ने भी समर्थन दिया है, जिससे इसका असर शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी महसूस किया जा सकता है। हालांकि, आरएसएस से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ ने इसमें भाग लेने से इनकार किया है।
ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार ने श्रमिकों की 17 सूत्रीय मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। इन मांगों में चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को रद्द करना, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, ₹26,000 न्यूनतम वेतन, ठेका प्रथा की समाप्ति और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक जैसे मुद्दे शामिल हैं। यूनियनों का कहना है कि श्रमिक अधिकारों को कमजोर करने और काम के घंटे बढ़ाने की नीतियां श्रमिकों के खिलाफ हैं।
हड़ताल के चलते दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों के साथ कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज, बस और ट्रेन सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका है। हालांकि, अभी तक स्कूल बंद को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी किया गया है।
2015 से लेकर अब तक यह पांचवीं बार है जब यूनियनों ने भारत बंद बुलाया है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि जब तक सरकार श्रमिक हितों को प्राथमिकता नहीं देती, आंदोलन जारी रहेगा।
आज के भारत बंद का व्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है, खासकर संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच एकजुटता को लेकर।