Madhya Pradesh

Madhya Pradesh: एमपी में अन्नदाता बेहाल, खरीदी केंद्रों में धान का अंबार, नहीं हो रहा परिवहन, पैसों के लिए परेशान हो रहे किसान

उमरिया, 27 दिसंबर, 2024

आपने आज तक सुना होगा कि दो पाटों के बीच पिसते हुए लेकिन जिले में चार पाटों के बीच मोहन सरकार में किसान पीस रहा है। अब आप सोचेंगे कि चार पाट कैसे हो सकते हैं। तो हम आपको बताते हैं, इस बार शहडोल संभाग में केंद्र और प्रदेश की सरकार प्रेक्टिकल कर रही है। उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले में उपार्जन की धान खरीदी का काम एनसीसीएफ नामक संस्था को दिया गया है। अब चारो पाट के बारे में भी बता दें कि कौन हैं, पहला पाट है एनसीसीएफ, दूसरा है सहकारिता विभाग, तीसरा है खाद्य विभाग और चौथा है परिवहनकर्ता, इस तरह चार पाट हो गए।


अब किसान कैसे पिस रहा है वह भी जान लीजिये
किसानों से उपार्जन की धान खरीदी का काम एनसीसीएफ संस्था कर रही है, इस संस्था द्वारा देर से धान की खरीदी चालू की गई, इसके देख रेख की जबाबदारी वैसे तो पूरे जिला प्रशासन की है लेकिन दो विभाग जो भ्रष्टाचार में अव्वल हैं उनको दी गई है, सबसे पहले सहकारिता विभाग है और दूसरा खाद्य विभाग है। अब दोनो विभागों के तो बहुत कारनामें आप सुन ही चुके है, इसके बाद नम्बर आता है परिवहनकर्ता का।

अब किसान कैसे परेशान है वह भी जान लीजिए
किसान स्लाट बुक करता है उसके बाद जिस दिन नम्बर आता है अपनी धान लेकर बिक्री केंद्र पर आता है और वहां कभी बोरी नही तो कभी जगह नही फिर भी अपनी धान बेच कर पावती लेकर इंतजार करता है कि मुख्यमंत्री जी बोले हैं कि 48 घंटे में भुगतान हो जाएगा तो इंतजार करता है कि हमारा पैसा आ जायेगा फिर हम अपना कर्ज पटा कर आगे का कार्य करेंगे लेकिन बेचारे किसान को क्या मालूम कि धान बेच कर कितनी बड़ी गलती कर लिए, वो तो धान की रिसीव लेकर बैठा है, लेकिन उसको आगे की प्रक्रिया नही मालुम कि जब तक उसके द्वारा बेची गई धान का परिवहन, गोदाम में भंडारण, और फिर जब तक परिदान नही होगा तब तक कागजी कार्रवाई नही होगी, इनके बाद जब 2 से 3 दिन का समय लगता है। वहीं एआरसीएस और जिला आपूर्ति अधिकारी मात्र औपचारिकता निभाने का कार्य कर रहे हैं। छतरपुर के कोई पारस जैन परिवहनकर्ता नियुक्त हुए हैं और उनका हाल यह है कि उनके पास लगाने को शायद वाहन नही है। खैर वाहन हो या न हो कोई उनके ऊपर कोई फर्क नही पड़ता,जिले के अधिकारियों ने तो बोल सकते हैं और न ही एमडी को पत्र लिख कर दूसरा परिवहनकर्ता नियुक्त करने की मांग कर सकते हैं क्योंकि सभी फीलगुड में चल रहे होंगे।


अब आपको आज के जनसंपर्क द्वारा जारी किए गए आंकड़े भी बता दें कि जिले में क्या हाल हैं, आज तक कुल खरीदी का आंकड़ा है 10192 किसानों से 42 खरीदी केंद्रों में 59870.6 क्विंटल और परिवहन मात्र 26069 क्विंटल का हुआ है अर्थात अभी आधे से अधिक धान खरीदी केंद्रों में ही पड़ी हुई है। अभी तक खरीदी गई धान की कीमत 137 करोड़ 74 लाख रुपये होती है और भुगतान मात्र 18 करोड़ 53 लाख रुपये का हुआ है, अब खुद ही अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह किसान परेशान हैं।

अब जरा खरीदी प्रभारी क्या कहते हैं वह भी जान लीजिए खरीदी केंद्र सिगड़ी के प्रभारी जितेन्द्र कुमार परौहा ने बताया कि जब भी जयदीप सर को फोन लगाते हैं तो कहते हैं कि बस आज गाड़ी भेजते हैं लेकिन गाड़ी नही आती है, हमारे किसान भी कलेक्टर साहब को फोन लगाते हैं तो कहते हैं कि आज गाड़ी भेजते हैं लेकिन गाड़ी नही आती है।

इस मामले में जब जिला आपूर्ति अधिकारी मीनाक्षी इंगले से बात की गई तो उनका कहना है कि परिवहनकर्ता को बोला गया है गाड़ियां जा रही हैं। वहीं जब इस मामले में जिले के प्रभारी मंत्री नागर सिंह चौहान से बात किया गया तो उनका कहना है कि मेरे जानकारी में यह बात आई है और मैंने कलेक्टर साहब को निर्देश दिया है कि इसका जल्दी निराकरण करेंगे।

गौरतलब है कि जिले के प्रभारी मंत्री भी हवा में निर्देश देकर रवाना हो गए लेकिन किसानों की समस्या जहां की तहां है खरीदी केंद्रों में धान भरी पड़ी है यदि यही हाल रहा तो अब धान रखने की जगह नही रहेगी और किसान व्यापारियों के हाथों लुटने को मजबूर हो जाएगा। इसको देख कर तो लगता है कि जिले के अधिकारी एनसीसीएफ के आगे बेबस हैं और खाद्य एवं सहकारिता फील गुड में व्यस्त हैं उनको किसानों की कोई परवाह नही है।

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