
रागिनी सिंह
महाकुंभ नगर,13 फरवरी 2025:
यूपी के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा महासभा के दंडी स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि यहां का प्रबंधन अविस्मरणीय है। भविष्य में इस पर शोध होगा। उन्होंने विपक्ष को निठल्ला कहते हुए सलाह भी दी कि आलोचना जरूर करें लेकिन इतने बड़े आयोजन में किसी श्रद्धालु को खाना ही खिला देते।
धर्म की छाया में करोड़ों की भीड़ मगर कोई समस्या नहीं
पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित संस्था गंगा महासभा से जुड़े दंडी स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती महाराज महाकुंभ 2025 की व्यवस्था पर खुलकर बोले। कहा कि उन्होंने 1989, 2001,2013 के कुंभ देखे और 2025 का महाकुंभ देख रहे हैं। पहले के आयोजन और इस बार की व्यवस्था में फर्क है। विश्व के दो करोड़ वाले किसी भी महानगर की व्यवस्था देखें और यहां धर्म की छाया में चल रहे करोड़ों की भीड़ वाले महाकुंभ को देखें, फर्क पता चल जाएगा। यहां कोई बदइंतजामी नहीं है। सब ठीक चल रहा है।
मां गंगा को मिल रहा प्राकृतिक प्रवाह, महाकुंभ में हुआ विश्व का अद्वितीय जुटान
दंडी स्वामी ने कहा कि प्रयागराज फोर सिक्स लेन वाली सड़कों व रेल सेवा के माध्यम से पूरे देश से कनेक्ट है। पीएम ने लोगों की परचेजिंग पॉवर बढ़ाई है इसलिए देखिए सड़कों पर लोगों के अपने चार पहिया वाहनों की भरमार है। ये सनातन की ही शक्ति है कि अब तक 45 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं। कई किमी पैदल चलने वाला, अपने पैर पर खड़े होकर डुबकी लगाने वाला हर श्रद्धालु युवा है। कहा कि गंगा प्राकृतिक प्रवाह की ओर लौट रही है। पीएम ने मां गंगा पर बांध बनाने के लिए आज तक किसी फाइल पर साइन नहीं किये। महाकुंभ में ज्ञात इतिहास का सबसे बड़ा मनुष्यों का जुटान हुआ है। ये विश्व का अद्वितीय जुटान है। इसके प्रबंधन के लिए अविस्मरणीय व्यवस्था की गई है। आने वाले समय में इसके प्रबंधन पर शोध किया जाएगा।
पहले टैक्स पड़ता था, झूठा गुणगान करता था विपक्ष
दंडी स्वामी ने महाकुंभ को लेकर विपक्ष की राजनीति पर कहा कि पहले महाकुंभ आने की यात्रा में टैक्स लगता था। सड़कों की हालत ठीक नहीं थी। सरकार घूम-घूम कर झूठा गुणगान करती थी। आज वही लोग विपक्ष में है। विपक्ष निठल्ला हो गया है। आलोचना करना उनका अधिकार है लेकिन तंज कसने के साथ किसी श्रद्धालु को खाना ही खिला दिया होता। इतनी भीड़ में तो कुछ न कुछ हो ही जाता है इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।






