
हरिद्वार, 23 फरवरी 2025:
निधन के बाद अपनी अस्थियों को मां गंगा की गोद मे विसर्जित करने की इच्छा हर हिन्दू रखता है। देश से बाहर रहने वालों की यही अंतिम इच्छा पूरी करने काम देवोत्थान सेवा समिति कर रही है। इसी मुहिम के तहत इस बार 400 हिंदुओं की अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार लाकर मां गंगा में किया गया।
अटारी बॉर्डर से कराची के महंत संग दिल्ली लाये गए थे अस्थि कलश
बता दें कि पाकिस्तान में जीवन की आखिरी सांस लेने वाले 400 हिंदुओं के अस्थि कलश सोमवार को अटारी बॉर्डर से हिंदुस्तान लाये गए। बताया गया कि अंतिम संस्कार होने के बाद मृत हिंदुओं की अस्थियां पाकिस्तान में ही सुरक्षित रख दी गईं थीं। मृतकों व परिजनों की इच्छा का सम्मान रखते हुए कराची स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत रामनाथ महाराज भी अस्थि कलशों के साथ यहां आए। इनमे सिख समुदाय के 48 लोगों की अस्थियां भी शामिल थीं।
मेरठ में निकली थी यात्रा, हरिद्वार लाकर मां गंगा में किया गया प्रवाहित
विसर्जन की जिम्मेदारी उठाने वाली संस्था देवोत्थान सेवा समिति ने दिल्ली लाये गए अस्थि कलशों को शुक्रवार के दिन मेरठ लाई थी। यहां मोदीपुरम की अक्षरधाम कालोनी में दो घण्टे अस्थि कलश यात्रा रुकी रही। इसके बाद यहां से यात्रा हरिद्वार रवाना हो गई। समिति के राष्ट्रीय महामंत्री व मेरठ निवासी विजय शर्मा अपने अन्य सहयोगी सह प्रभारी ठाकुर प्रवीण चौहान व सदस्य गोपाल के साथ हरिद्वार पहुंचे। इस दौरान पुण्यदायी सेवा समिति हरिद्वार के पदाधिकारी मौजूद रहे। शनिवार की दोपहर महंत रामनाथ महाराज व समिति के पदाधिकारियों की मौजूदगी में पूरे विधि विधान के साथ अविरल वेग के साथ बहतीं मां गंगा की गोद में अस्थियों को प्रवाहित कर दिया गया।
पहली दफा 2011 में समझौता एक्सप्रेस से आये थे कलश
समिति के प्रदेश सह प्रभारी ठाकुर प्रवीण चौहान ने बताया कि यह यात्रा प्रत्येक पांच वर्ष में आयोजित की जाती है। 2011 में पहली बार 135 अस्थि कलश समझौता एक्सप्रेस से भारत लाए गए थे, जबकि 2016 में 160 अस्थि कलश गंगा में विसर्जित किए गए थे। कोरोना महामारी के कारण 2021 की यात्रा रद्द कर दी गई थी। इस बार 9 वर्षों बाद 400 अस्थि कलश भारत पहुंचे।






