लखनऊ,25 फरवरी 2025:
केंद्र सरकार के अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के विरोध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर यूपी के विभिन्न जिलों में वकीलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। बार एसोसिएशन के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने बिल की प्रतियां जलाईं और “काला कानून वापस लो” जैसे नारे लगाए।
लखनऊ में अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार
लखनऊ में 21 फरवरी को वकीलों ने अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया था । जिला कोर्ट के अधिवक्ताओं ने हाई कोर्ट क्रॉसिंग से जीपीओ होते हुए हजरतगंज तक मार्च निकाला था ।
ओउध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरडी शाही और मनोज शाह द्विवेदी की अध्यक्षता में लखनऊ हाई कोर्ट के अधिवक्ता आज 25 फरवरी को पूरी तरह कार्य से विरत रहे।
गोरखपुर में अंबेडकर चौक पर वकीलों का प्रदर्शन
गोरखपुर में वकीलों ने अंबेडकर चौक पर एकत्र होकर अधिवक्ता संशोधन बिल के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। अधिवक्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह बिल उनके अधिकारों पर हमला है और इससे न्याय प्रणाली प्रभावित होगी। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भानु प्रताप पांडे ने कहा कि अगर सरकार ने बिल वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
अमेठी में रजिस्ट्री ऑफिस में हंगामा, दस्तावेज लेखन ठप
अमेठी में वकीलों ने न्यायालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और इसके बाद जुलूस निकालकर रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे। अधिवक्ताओं ने दस्तावेज लेखकों से बिल के विरोध में काम बंद करने की अपील की, जिस पर दस्तावेज लेखकों ने समर्थन जताया और रजिस्ट्री का कार्य ठप कर दिया। वकीलों ने सब-रजिस्ट्रार को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी कि यदि सरकार ने बिल वापस नहीं लिया, तो प्रदेशव्यापी हड़ताल की जाएगी। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव मूर्ति तिवारी और सचिव भूपेंद्र शुक्ल ने कहा कि यह विधेयक अधिवक्ताओं के अधिकारों पर सीधा प्रहार है और अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप कर दिए जाएंगे।
प्रदेशभर में आंदोलन तेज होने के संकेत
वकीलों ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार यह बिल वापस नहीं लेती, तब तक विरोध जारी रहेगा। यूपी के कई जिलों में बार एसोसिएशन्स ने बैठकें कर आगे की रणनीति तैयार की है। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो राज्यभर में व्यापक स्तर पर न्यायिक कार्य ठप हो सकते हैं।