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काशी में उत्सव: मराठा पर्व की तैयारी में जुटे मंच पर महकी राजस्थानी संस्कृति की खुशबू

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 29 मार्च 2025:

यूपी में शिव की नगरी काशी में देश के अलग अलग राज्यों की संस्कृति का संगम दिखाई दे रहा है। यहां रहने वाला मराठा समाज 30 मार्च को होने वाले गुड़ी पड़वा पर्व को उत्सव की तरह मनाने के लिए तैयारियों में जुट गया है। वहीं महमूरगंज स्थित शुभम् लॉन में श्री गवरजा माता उत्सव समिति के तत्वावधान में सिंघारा कार्यक्रम में राजस्थानी और हरियाणवी संस्कृति के इंद्रधनुषी रंग दिखाई दिए।

मराठा समाज कल मनाएगा गुड़ी पड़वा पर्व, काशी में दिखेगी मिनी महाराष्ट्र की झलक

काशी की संस्कृति का एक खास रंग मराठा समाज से भी जुड़ा है। इसकी गहरी छाप गंगा के किनारे दिखाई देती है। गंगा किनारे कई घाट पेशवाओं के योगदान से बने हैं। यहां रहने वाला मराठा समाज अब गुड़ी पड़वा की तैयारियों में जुट गया है, जो 30 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा। संयोग से इसी दिन चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी होगी। ब्रह्मा घाट, बीवी हटिया, पंचगंगा घाट और दुर्गा घाट जैसे इलाकों में बसे मराठा समाज के लिए गुड़ी पड़वा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इन दिनों काशी के इन कोनों में मिनी महाराष्ट्र की झलक देखने को मिलेगी। घरों की साफ-सफाई, रंगोली की सजावट, नए पारंपरिक कपड़े और स्वादिष्ट व्यंजनों की महक से माहौल उत्सवमय हो उठता है। यह पर्व मराठा समाज में खुशहाली और समृद्धि का संदेश लेकर आता है।

गुड़ी पड़वा में भगवान विष्णु और ब्रह्मा की पूजा का है विधान

गुड़ी पड़वा के दिन भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी की पूजा का विशेष महत्व है। मराठा समाज से जुड़ी शिखा मालू बताती हैं कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाने के बाद स्नान किया जाता है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है। व्यापारियों के लिए दुकान के मुख्य द्वार पर हरिद्रा (हल्दी) के दाने डालना और गुड़ी नामक ध्वजा फहराना भी परंपरा का हिस्सा है।

गवराजा माता उत्सव समिति ने आयोजित किया सिंघारा कार्यक्रम

इधर महमूरगंज स्थित शुभम् लॉन में श्री गवरजा माता उत्सव समिति के तत्वावधान में सिंघारा कार्यक्रम ने राजस्थानी और हरियाणवी संस्कृति की अनुपम छटा बिखेरी। इस अवसर पर लगभग दो सौ महिलाओं और बच्चों ने “गणगौर आपणी धरोहर” की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर.के. चौधरी, अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री अजय काबरा सहित समिति के अध्यक्ष दीपक बजाज, मंत्री पवन कुमार अग्रवाल, संरक्षक उमा शंकर अग्रवाल, शंकर लाल सोमानी, पवन मोदी, बृजमोहन मूंदड़ा ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। इनके साथ ही राजस्थानी समाज के विभिन्न संगठनों के अध्यक्ष भी उपस्थित रहे।

पारंपरिक गीतों व नृत्यों में पिरोई राजस्थान और हरियाणा की संस्कृति

अतिथियों ने गणेश जी और माँ गणगौर को पुष्पांजलि अर्पित की। सह-संयोजिकाओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत यशस्वी सुरेका, भूमि अग्रवाल, आर्या तुलस्यान सहित अन्य बच्चों द्वारा गणेश वंदना से हुई। “गणपति बप्पा मोरया” के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके बाद “मैं तो जाऊली”, “जयपुरिए”, “देखुली गणगौर”, “घूमर घूमर बाईसा” जैसे पारंपरिक गीतों और नृत्यों की शानदार प्रस्तुति हुई। श्वेता अग्रवाल, स्वाती, गरिमा, सलोनी सहित लगभग दो सौ प्रतिभागियों ने कालबेलिया, कठपुतली और अन्य लोक नृत्यों से दर्शकों का दिल जीत लिया।

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