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अक्षय तृतीया पर विश्वनाथ धाम में बद्रीनारायण का श्रृंगार, रजत छत्र प्रतिष्ठापना से दमका दरबार

अंशुल मौर्य

वाराणसी, 30 अप्रैल 2025 :

अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धा, भक्ति और सनातन परंपरा का अनुपम संगम देखने को मिला। भगवान श्रीहरि विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप का आज भव्य श्रृंगार सम्पन्न हुआ, जिसने पूरे धाम परिसर को आध्यात्मिक आभा से ओतप्रोत कर दिया।

इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने सनातन परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हुए एक विशेष पहल की। श्रावण मास तक के लिए भगवान विश्वनाथ के विग्रह पर “कुंवरा” (शावर) की स्थापना की गई, जिससे शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक होता रहेगा। यह परंपरा शीतलता, शुद्धता और साधना का प्रतीक मानी जाती है और श्रद्धालुओं की आस्था को और अधिक सुदृढ़ करती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्वभूषण मिश्रा ने समस्त सनातन धर्मावलंबियों को अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं देते हुए कहा, “ईश्वर की कृपा सभी पर बनी रहे और भगवान बद्रीनारायण सभी के सहाय हों। यह आयोजन काशी की सनातन विरासत को और भी समृद्ध करता है।”

इससे एक दिन पूर्व, मंगलवार को धाम परिसर में एक अन्य भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन सम्पन्न हुआ। इस आयोजन के अंतर्गत भारत माता, माता अहिल्या बाई होल्कर तथा आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमाओं पर रजत छत्र की प्रतिष्ठापना की गई। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि काशी की सांस्कृतिक गरिमा को भी उजागर करता है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने ग्रीष्मकाल की तीव्र गर्मी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया ताकि सूर्य की तीव्र किरणों से प्रतिमाओं की रक्षा की जा सके। रजत छत्रों की आभा श्रद्धालुओं को एक दिव्य और सौंदर्यपूर्ण अनुभव प्रदान करती है। इस पावन अवसर पर मंदिर के डिप्टी कलेक्टर श्री शंभु शरण द्वारा विधिवत पूजन-अर्चन कर प्रतिष्ठापना सम्पन्न कराई गई।

विशेष रूप से माता अहिल्या बाई होल्कर की प्रतिमा पर रजत छत्र की स्थापना उनके द्वारा काशी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में दिए गए अतुलनीय योगदान को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित की गई। यह आयोजन श्रद्धालुओं के हृदय में भक्ति, सम्मान और गौरव का संचार करता है तथा काशी की आध्यात्मिक गरिमा को और अधिक गहराई प्रदान करता है।

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